Hindi, asked by saurabh6055, 8 months ago

गलवान के पहलवान विषय पर दो मित्रों के बीच बातचीत को संवाद शैलो में लिखिए।​

Answers

Answered by pranavkumbhar6866
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Explanation:

गामा पहलवान : दुनिया का सबसे महान पहलवान जिसे लोग हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के लिए भी याद रखेंगे

हिंदुओं की जान सांसत में थी. रुस्तम-ए-हिंद गामा ने कहा, ‘इस गली के सारे हिंदू मेरे भाई हैं. देखें, इन पर कौन हाथ उठाता है!’70 या 80 के दशक तक पैदा हुए बच्चों पर अनजाने ही समाजवाद का असर रहता था. हर बहस में कुछ सवाल घूम-घूम कर आते. मसलन अगर हिंदुस्तान और पाकिस्तान में लड़ाई हो जाए तो कौन-कौन से देश हमारा साथ देंगे. सबसे पहले नाम आता था यूएसएसआर यानी सोवियत संघ का. यह संघ तो अब टूट चुका है. एक और सवाल भी बहस का सबब बनता था कि अगर दारा सिंह और मोहम्मद अली में लड़ाई हो जाए तो कौन जीतेगा? ‘भाई साहब दारा सिंह ने एक बार उसको पकड़ लिया न बस, खेल ख़त्म.’ जवाब मिल चुका होता था.

ऐसा ही एक सवाल होता था, ‘किंग कॉन्ग और गामा में लड़ाई हो जाए तो कौन जीतेगा?’ सभी का जवाब एक ही होता था - गामा पहलवान. तब बहुत कम बच्चों को यह मालूम था कि किंग कॉन्ग सिर्फ एक फंतासी है. उधर न फोटो देखी होती थी, न यह मालूम था कि गामा ने किस-किसको हराया है. बस सुनी-सुनाई बातें और कोरी कल्पना के सहारे गामा का नाम हमारे ज़हन पर हावी था. एक बात और, तब किसी को यह भी नहीं मालूम था कि गामा हिंदू हैं या मुसलमान. दरअसल, तब यह सवाल था ही नहीं.

Answered by khushipatel6074
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Answer:

गामा पहलवान : दुनिया का सबसे महान पहलवान जिसे लोग हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के लिए भी याद रखेंगे

हिंदुओं की जान सांसत में थी. रुस्तम-ए-हिंद गामा ने कहा, ‘इस गली के सारे हिंदू मेरे भाई हैं. देखें, इन पर कौन हाथ उठाता है!’70 या 80 के दशक तक पैदा हुए बच्चों पर अनजाने ही समाजवाद का असर रहता था. हर बहस में कुछ सवाल घूम-घूम कर आते. मसलन अगर हिंदुस्तान और पाकिस्तान में लड़ाई हो जाए तो कौन-कौन से देश हमारा साथ देंगे. सबसे पहले नाम आता था यूएसएसआर यानी सोवियत संघ का. यह संघ तो अब टूट चुका है. एक और सवाल भी बहस का सबब बनता था कि अगर दारा सिंह और मोहम्मद अली में लड़ाई हो जाए तो कौन जीतेगा? ‘भाई साहब दारा सिंह ने एक बार उसको पकड़ लिया न बस, खेल ख़त्म.’ जवाब मिल चुका होता था.

ऐसा ही एक सवाल होता था, ‘किंग कॉन्ग और गामा में लड़ाई हो जाए तो कौन जीतेगा?’ सभी का जवाब एक ही होता था - गामा पहलवान. तब बहुत कम बच्चों को यह मालूम था कि किंग कॉन्ग सिर्फ एक फंतासी है. उधर न फोटो देखी होती थी, न यह मालूम था कि गामा ने किस-किसको हराया है. बस सुनी-सुनाई बातें और कोरी कल्पना के सहारे गामा का नाम हमारे ज़हन पर हावी था. एक बात और, तब किसी को यह भी नहीं मालूम था कि गामा हिंदू हैं या मुसलमान. दरअसल, तब यह सवाल था ही नहीं.

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