गणित सीखना रुचिकर हो इसके लिए दो उपाय लिखिए
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हम सब ने वो प्रसिद्ध गीत कभी ना कभी सुना हुआ है-‘नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी मैं क्या है’.प्रत्युत्तर मैं बच्चे कहते हैं -‘मुट्ठी मैं बंद तक़दीर हमारी ,हमने किस्मत को बस मैं किया है’.बच्चे किसी भी सभ्यता के फेफड़े होते है,जिनके माध्यम से सभ्यता नई सोच की नई श्वास अपने तंत्र मैं धारण करती है.और स्वस्थ फेफड़े दीर्घायू प्रदान करते है.बच्चो का वैज्ञानिक विकास मानवता के लिये परम आवश्यक है क्योकि वैज्ञानिक चेतना जीवन का प्रथम लक्षण है.शिक्षक विशेषतः गणित शिक्षक समाज का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्तम्भ है,क्योंकि एक बालक अपने जीवन का प्रथम तर्क अपनी गणित की कक्षा मैं ही करता है-यदि चार सेब बीस रूपए के है तो एक सेब कितने का होगा? या फिर दो और दो का योग चार ही क्यों होता है तीन या पांच क्यों नहीं ? यही तार्किकता भविष्य की क्रांति कारी खोजो को आधार प्रदान करते है.
गणित जिसके मूल सिद्धांत दैनिक जीवन से सीधे संबध रखते है,फिर भी विद्यार्थियों मैं गणित का नाम सुनकर एक अजीब सा भय उत्पन्न हो जाता है.गणित के मूल तथ्यों को भली भांति समझ ना पाने के कारण विद्यार्थियों के लिये गणित जीवन भर एक बड़ा सरदर्द बना रहता है.
गणित के प्रति अरुचि विद्यार्थीयो को मानसिक रूप से विकृत कर देती है,जो उसके समस्त शारीरिक व मानसिक विकास को ताक पर रख देती है.
गणित जहाँ शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक है,वही कैरियर की दृष्टि से भी इसके अनोखे आयाम है.कौन सा ऐसा जॉब है जो प्राथमिक गणितीय योग्यता नहीं मांगता.अतः आज आवश्यकता है की गणित शिक्षण की विधियों पर समीक्षक दृष्टि डाली जाये,और गणित शिक्षण को और भी मनोरंजक तथा सार्थक बनाया जाये.लेखक ने अपने अनुभव से कुछ तथ्यों को रेखांकित करने की कोशिश की है.
मैथ लेबोरटरी: कहावत है प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या.गणित प्रयोग शाला वह जादूई कक्ष है जो गणित के सिद्धांतो को ठोस धरातल प्रदान कर सकती है.विभिन्न आकारों यथा-शंकु,बेलन,घन,घनाभ,त्रिभुज अदि ,विभिन्न तथ्य जैसे आयतन और क्षेत्रफल मैं अंतर,संख्या सिद्धांत,विभिन्न ज्यामितीय तथ्य जैसे-समरूपता,सर्वान्ग्समता,पायथागोरस प्रमेय आदि का प्रदर्शन गणित प्रयोग शाला को विद्यालय का सर्वाधिक मोहक कक्ष बना सकता है.सोने पर सुहागा तब होगा जब विद्यार्थी अपने स्वनिर्मित मोडल्स द्वारा इन सिद्धांतो को प्रकाशित करे.cardboard या थर्मोकोल और घर और विद्यालय मे उपलब्ध साधारण वस्तुये किसी गणितीय तथ्य को क्या खूब प्रकाशित कर सकते है.,जियोबोर्ड अर्थात एक ठोस सतह जैसे लकड़ी या मोटे कागज़ पर बनाई गयी ग्राफ पेपर की प्रतिकृति.धागों और आलपिंस के माध्यम से विभिन्न समीकरणों का ग्राफीय प्रदर्शन ज्यामिती को स्वर्ग का धरातल प्रदान कर देती है.कक्षा बारह के पाठ्यक्रम मैं उपस्थित ‘रोले प्रमेय’ का पतले तारे से बना मॉडल विद्यार्थियों की समस्त शंकाओ को जड़ से ही मिटा देता है.C.B.S.E.,N.C.E.R.T और इन्टरनेट पर उपलब्ध ढेरो website जाने कितने ही रोचक सामग्रियो से अटी पड़ी है.इन्हे इस्तमाल करे और करे क्रांति का सूत्रपात.विभिन्न गणितीय क्रियाकलापों के चार्टो से सुसज्जित गणित प्रयोग शाला की दीवारे किसी जादूगर के इंद्रजाल का हिस्सा प्रतीत होंगे.कितना बढ़िया हो की गणित प्रयोग शाला का द्वार विद्यालय के संपूर्ण समय खुला रहे,बच्चे जब-तब आये और विभिन्न गणितीय तथ्यों को आत्मसात करे.
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