गणपति को गुस्सा क्यों आता है
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यूं तो छत्तीस करोड़ हिन्दू देवी देवताओं की बहुत बड़ी रेंज है हमारे पास। फिर भी हम हर तरह के काम लेकर सीधे गणेशजी के पास ही जाते हैं। शायद इसलिए कि अन्य भगवानों की तरह उनका कोई प्रोटोकॉल नहीं है। जिसे फॉलो करना पड़े। यही एकमात्र देवता हैं जिनसे हर भक्त अपनत्व महसूस करता है। ऐसा ही कुछ दोस्ताना रिश्ता मेरा भी है, गणेश जी के साथ। इसे सबके साथ साझा करना भी मेरे लिए प्रथमेश की पूजा समान है। - आइए श्रीगणेश करें।
लगभग डेढ़-दो दशक बाद जब गजानन घर पधारे तब उन्हें इस बात से कोई नाराजी नहीं थी कि हमने उनकी स्थापना इतने लंबे अंतराल के बाद की। उनकी इस फ्लेक्सिबिलिटी की अदा ने मुझे काफी आकृष्ट किया। बचपन से सुनते आए हैं कि जब शिव-पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को तीनों लोकों की परिक्रमा करने के लिए कहा तो गणेशजी ने फटाफट अपने माता-पिता के चारों ओर परिक्रमा लगा ली। और भाईसाहब तीनों लोकों का चक्कर लगाते रहे। बस तभी से उन्हें ये आशीर्वाद मिला कि हर शुभ कार्य से पहले उन्हें पूजा जाएगा और वे प्रथमेश कहलाएंगे।