Hindi, asked by praveenpremanand92, 2 months ago

गणतंत्र दिवस के अवसर पर मित्र को संदेश लिखिए 40 words​

Answers

Answered by kashishnaamdev84
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Answer:

hii dear

here is your answer

Explanation:

विश्व के सबसे बड़े और जीवंत लोकतन्त्र के आप सभी नागरिकों को देश के 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हार्दिक बधाई! विविधताओं से समृद्ध हमारे देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं, परंतु हमारे राष्ट्रीय त्योहारों को, सभी देशवासी, राष्ट्र-प्रेम की भावना के साथ मनाते हैं। गणतन्त्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भी, हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हुए, अपने राष्ट्रीय ध्वज तथा संविधान के प्रति सम्मान व आस्था व्यक्त करते हैं।

आज का दिन, देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आज ही के दिन, 71 वर्ष पहले, हम भारत के लोगों ने, अपने अद्वितीय संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया था। इसलिए, आज, हम सभी के लिए, संविधान के आधारभूत जीवन-मूल्यों पर गहराई से विचार करने का अवसर है। संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं। यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की ज़िम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें।

लोकतन्त्र को आधार प्रदान करने वाली इन चारों अवधारणाओं को, संविधान के आरंभ में ही प्रमुखता से रखने का निर्णय, हमारे प्रबुद्ध संविधान निर्माताओं ने बहुत सोच-समझकर लिया था। इन्हीं आदर्शों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को भी दिशा प्रदान की थी। बाल गंगाधर 'तिलक', लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनेक महान जन-नायकों और विचारकों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया था। मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।

मैं सोचता हूं कि हम सबको, अतीत में और भी पीछे जाकर, यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि यही मूल्य हमारे राष्ट्र-निर्माताओं के लिए आदर्श क्यों बने? इस का उत्तर स्पष्ट है कि अनादि-काल से, यह धरती और यहां की सभ्यता, इन जीवन-मूल्यों को संजोती रही है। न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता हमारे जीवन-दर्शन के शाश्वत सिद्धांत हैं। इनका अनवरत प्रवाह, हमारी सभ्यता के आरंभ से ही, हम सबके जीवन को समृद्ध करता रहा है। हर नई पीढ़ी का यह दायित्व है कि समय के अनुरूप, इन मूल्यों की सार्थकता स्थापित करे। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने यह दायित्व, अपने समय में, बखूबी निभाया था। उसी प्रकार, आज के संदर्भ में, हमें भी उन मूल्यों को सार्थक और उपयोगी बनाना है। इन्हीं सिद्धांतों से आलोकित पथ पर, हमारी विकास यात्रा को निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

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