Gandgi mukt bharat pe nibandh
Answers
Answer:
Hey mate,
Your answer is as follows:
शहरों में आज दुनिया की करीब आधी आबादी बसती है । भविष्य में भी शहरों की संख्या तथा वहां बसती आबादी में वृद्धि होती जायेगी, ऐसा कहना गलत नहीं होगा । शहरी जिंदगी आज की जरूरत है, मजबूरी है और दिन-प्रतिदिन बढती हुई आबादी की नियति ।
इस दिशा को बदलना संभव नहीं है, तो क्या हम इस अभिशाप को वरदान में या आंशिक वरदान में या कम-से-कम सहने लायक, जीने लायक, परिवेश में बदल सकते हैं । इसका उत्तर यदि हम ‘नहीं’ देते हैं, तो हमें इसका उत्तर ‘हां’ में ही देना होगा और शहरों में अच्छे जीवन के तरीके निकालने होंगे ।
यदि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आम शहरी को स्वच्छ, स्वास्थ्यपूर्ण सुविधायुक्त अच्छे पर्यावरण में जीने का अधिकार है, तो हमें इसके रास्ते भी खोजने होंगे । इसमें विलंब करना घातक होगा और हम अधिकाधिक शहरों को नरक में परिवर्तित करते रहेंगे । शहरों में कचरा बढता जा रहा है, पर इसके निस्तारण की सुविधाएं नहीं बढ रही हैं । स्वायत्तशासी संस्थाएं और उनमें बैठे लोग इसकी ज्वलंत जरूरतों के प्रति आंखें मूंदे बैठे हैं, जिसके भयानक परिणाम हो सकते हैं ।
Explanation:
Hope You Find It Useful.....
Thanks & Regards.....
Do mark my answer as Brainliest......