Gandgi mukth mera gaon essay
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मेरा गांव शहर से बिल्कुल नजदीक और शोरगुल से दुर है। यहां से कुछ ही दूरी पर आवश्यकता की सारी सामाग्री हमे उपलब्ध हो जाती है। गांव के रास्ते हमें प्रमुख मार्गो से जोड़ते है। घर से थोड़ी ही दूर पर हमे दवा, दुध, सब्जियां इत्यादि सारी दैनिक आवश्यकता की चीजे हमे प्रायः मिल जाया करती है। मेरा गांव बहुत अधिक बड़ा तो नही पर यहां तकरीबन 2,000 लोगों की आबादी वाला एक छोटा और प्यारा सा गांव है। इसमे सभी लोग आपस मे मिलजुलकर प्यार और शांति से रहते है। मेरे गांव मे तकरीबन 150 परिवार रहते है।
स्वच्छ और सुन्दर गांव
जैसा कि मैनें आपको बताया कि मेरा गांव बहुत बड़ा नही है, इसलिए मेरे गांव को स्वच्छ रखना ज्यादा मुश्किल नही है। मुख्य सड़क से घुसते ही चौड़ी और साफ सुथरी सड़क और किनारों पर हरे पेड़ मेरे गांव की सुन्दरता को बढ़ाते है। मुख्य सड़क से गांव के रास्ते पर जाते ही सामने की ओर दोनों तरफ बहुमंजिली इमारत है, जो कि इन दिनों हमारे गांव का लैड़-मार्क बन गया है।
गांव मे प्रवेश करते ही पक्के मकान और स्वच्छ रास्तों के साथ साफ सुथरी गलीयां दिखाई देती है। यहां जगह-जगह पर कुड़ेदान की व्यवस्था और चारों तरफ पेड़ पौधों की हरियाली दिखाई देती है। जो कि हमारे गांव की सुन्दरता को और अधिक बढ़ाती है।
पहले और अब के गांव मे अन्तर
एक दशक पहले और आज के गांव मे काफी बदलाव देखा जा सकता है। जहां पहले यहां के काफी मकान कच्चे ही हुआ करते थे, पर अब कितनों ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उठा कर अपने मकानों को पक्का और सुन्दर कर लिया है। पहले की अपेक्षा गांव मे पेड़-पौधें काफी अधिक मात्रा मे लगाएं गए है, जिससे मेरा गांव और भी खुबसुरत दिखाई देता है।
15 अगस्त 2014 मे प्रधानमंत्री के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान शुरु करने के बाद मेरे गांव की स्थिति मे काफी बदलाव आया है। जहां पहले गन्दगी इधर-उधर बिखरी रहती थी वही आज कही गंदगी का नामों निशान नही मिलता है। गांव की साफ-सफाई को देखते हुए हर कोई स्वचछता मे अपना यो
गदान देता है।
निष्कर्ष
मेरे छोटे से गांव को साफ और स्वच्छ बनाएं रखने के लिए हर कोई अपनी तरह से मदद करता है। हर कोई अपनी जिम्मेदारी को समझता है और कुछ ज्यादा नही तो अपने घर और आसपास की जगहों को साफ रखते है और किसी को गन्दगी करने से रोकते भी है।
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