Gandhi ji ki Mata ka saubhaw kaisa tha
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मां पुतलीबाई प्यार से मोहन को मोनिया कहकर पुकारतीं। मोहन भी अपनी मां को बहुत चाहता था। बचपन से मोहन की बुद्धि बहुत तेज थी। वह सवाल पूछ-पूछ कर मां को परेशान कर डालता। मोहन के घर में एक कुआं था। कुएं के चारों ओर पेड़-पौधे लगे हुए थे। कुएं के कारण बच्चों का पेड़ पर चढ़ना मना था।
मोहन सबकी आंख बचा, जब-तब पेड़ पर चढ़ जाता। एक दिन उसके बड़े भाई ने मोहन को कुएं के पास वाले पेड़ पर चढ़े देखा। उन्होंने मोहन से कहा कि मोहन, तुझे पेड़ पर चढ़ने को मना किया था। पेड़ पर क्यों चढ़ा है? चल नीचे उतर।’ इस पर मोहन ने कहा, ‘नहीं, हम नहीं उतरेंगे। हमें पेड़ पर मजा आ रहा है।’ क्रोधित भाई ने मोहन को चांटा मार दिया।
रोता हुआ मोहन मां के पास पहुंचा और बड़े भाई की शिकायत करने लगा, ‘मां, बड़े भइया ने हमें चांटा मारा। तुम भइया को डांटो।’ मां काम में उलझी हुई थी। मोहन मां से बार-बार भाई को डांटने की बात कहता गया। तंग आकर मां कह बैठीं, ‘उसने तुझे मारा है न? जा, तू भी उसे मार दे। मेरा पीछा छोड़, मोनिया। तंग मत कर।’ आंसू पोंछ मोहन ने कहा, ‘तुम तो कहती हो अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए। भइया मुझसे बड़े हैं। मैं बड़े भइया पर हाथ कैसे उठा सकता हू्ं? हां, तुम भइया से बड़ी हो। तुम उन्हें समझा सकती हो कि वह मुझे न मारें।’
achha tha agar accha nahi hota to unka beta itna bada aadmi kaise banta.
samjha bhai
chal bhai ak request hai mujhe brainlist bana