gandhiji dwara likhe gaye patron ko log prashashtipatra kyu mante the
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अंदर गहरा आत्मविश्वास था। वो अपने साथियों को लेकर काफी गंभीर रहते थे। यही कारण है कि एक बार दाए हांथ की उंगली में असहनीय पीड़ा के बावजूद अपने बाएं हाथ से पत्र लिखा था। पत्र में उनकी यह पीड़ा स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
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