Hindi, asked by fatimakhan5057, 1 year ago

Gandhiji ke vyaktitv par prakaash daaliye?

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Answered by amanpathak8833
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Answer:

मोहनदास करमचंद गांधी को कौन नहीं जानता. वह भारत के इतिहास के महान व्यक्तित्व थे. महात्मा गांधी ने भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ाद करवाने के लिए अहिंसा का सहारा लिया और पूरे देश के लोगों को भारत की आज़ादी के लिए प्रेरित किया. वे अंगेजों को यह मनवाने में सफल रहे कि भारत पर ब्रिटिश हकूमत मानवता के अधिकार का घोर उल्लंघन थी.

वैसे तो गाँधी जी का पूरा जीवन ही अनुकरणीय है, लेकिन हम यहाँ 10 ऐसी चुनिन्दा बातें रख रहे हैं, जो देखने सुनने में बहुत ही साधारण लगती हैं, लेकिन अगर इन पर अमल किया जाए, तो मनुष्य कोई भी मंजिल पा सकता है.

1

“जो हम सोचते हैं हम वही बन जाते हैं”

महात्मा गांधी का मानना था कि हम जो सोचते हैं वही बन जाते हैं. अगर हम यह सोचेंगे कि हम लक्ष्य तक पहुंचने से पहले असफल हो जायेंगे, तो असल जिंदगी में भी वैसा ही होगा. हमारा मन सकरात्मक और नकरात्मक विचारों से हमेशा भरा रहता है, लेकिन हमें नकरात्मक विचारों को मन से हटा देना चाहिए और सिर्फ सकरात्मक विचारों को मन में रखने का प्रयास करना चाहिए.

2

“कभी हार ना मानो और लगातार प्रयास करते रहो”

महात्मा गांधी जी को अपने जीवन में भारत की आज़ादी के लिए कई बार जेल भी जाना पड़ा था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करते रहे थे. उसी तरह हमें भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार संघर्ष करना चाहिए.

3

“आपके एक्शन आपकी प्राथमिकता को दर्शाते हैं”

अगर हमारे जीवन का लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है और हम उसको पूरा करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रहे है, तो हमें अपनी प्राथमिकता के बारे में सोचना होगा. इसका अर्थ यह है कि हम अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर नहीं हैं. आपको अपनी प्राथमिकता अपने लक्ष्य को देनी चाहिए.

4

“लक्ष्य का रास्ता भी लक्ष्य जैसा सुंदर होता है”

महात्मा गांधी एक मजबूत चरित्र वाले आदमी थे. वह भारत की आज़ादी के लिए ऐसा कोई भी विधि नहीं अपनाना चाहते थे, जिनसे उनकी अंतरआत्मा को ठेस पहुंचे. इसीलिए उन्होंने भारत को आज़ाद करवाने के लिए हिंसा का सहारा ना लेते हुए, अहिंसा का सहारा लिया था. हमें भी उसी तरह अपने लक्ष्य को पाने के लिए एक नैतिक मार्ग का सहारा लेना चाहिए.

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5

“ईमानदारी से “ना” कहना बेइमानी से “हाँ” कहने से कहीं बेहतर है”

लोग अक्सर दूसरे लोगों को नाराज़ न करने के लिए “ना” कहने की बजाए “हां” कर देते हैं. वह अक्सर उन लोगों के साथ कई गतिविधियों में बिना अपनी दिलचस्पी के हिस्सा भी लेते रहते हैं. महात्मा गांधी का कहना था, दूसरों को खुश करने के लिए की गयी “हां” आपको कहीं भी नहीं लेकर जाती. दूसरी तरफ यह आपकी जिंदगी को आक्रोश और कुंठा की तरफ ले जाती है.

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