GANGA KI KAHANI,GANGA KI JUBANI
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गंगा की कहानी , गंगा की जुबानी I
मैं गंगा हूँ, पहाड़ों पर मेरा जन्म हुआ है इसलिये तो लोग मुझे शैलजा या गिरिजा कहते हैं।
पहाड़ मेरे पिता हैं। भारतीय ऋषि-मुनियों, लेखकों और कवियों ने मुझे अनगिनत नाम दिये है
मैं, गंगा, यमुना, चम्बल, बेतवा,ब्रह्मपुत्र, मेघना, सिन्धु, सतलुज, व्यास, झेलम, नर्मदा, कृष्णा,
कावेरी, महानदी, सोन ये नाम ही दुनिया से मेरी पहचान कराते हैं।
मनुष्य ने, मुझे बिना समझे-बूझे, मेरा लगभग सर्वनाश करना प्रारम्भ कर दिया है।
गंगा, यमुना, चम्बल वे सब एक दूसरे की छोटी-बड़ी बहनें हैं। उनका जन्म एक ही समय में नहीं हुआ।
मनुष्य ने मुझे बिना समझे-बूझे, मेरा लगभग सर्वनाश करना प्रारम्भ कर दिया है। मेरे जल में औषधिकारक जो गुण था वह अब धीरे धीरे ख़त्म होता जा रहा है मई अब बीमारियां का घर बन गयी हूँ
पहाड़ों की बेटी 'गंगा' के बचाने को, अपने अभियान में सम्मिलित करना चाहिए।
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Q.1.- Quotation on save ganga clean ganga
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Q.2.- मैं गंगा हूँ अनुच्छेद
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