Ganga swachhata Abhiyan ke bare mein batate Hue Apne chote bhai letter likho 150 Shabd in hindi
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❤️Ganga swachhata Abhiyan ❤️
गंगा का स्थान हर भारतीय के दिल में खास है। अद्वितीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखने वाली गंगा देश की सबसे पवित्र नदी है। 2500 किलोमीटर से अधिक लम्बा सफर तय करने वाली गंगा को लोग उसके उद्गम स्थल गंगोत्री ग्लेशियर से लेकर बांग्लादेश के सुंदरवन डेल्टा तक प्रयोग करते और पूजते हैं। गंगा बेसिन में देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा उत्पन्न होता है और यह देश का महत्त्वपूर्ण पर्यावरण और आर्थिक संसाधन है। अपनी लम्बी यात्रा के दौरान गंगा नदी मैदानी इलाकों की विशाल भूमि को समृद्ध करती है और इसके सहारे लगभग 50 प्रमुख शहरों और सैकड़ों छोटे शहरों का जीवन चलता है
ऊँचे इलाकों में गंगा की सहायक नदियाँ देश की ऊर्जा आपूर्ति को पूरा करने के लिये पर्याप्त पनबिजली उत्पन्न करती हैं और नीचे की ओर गंगा माल और जन साधारण को जलमार्ग प्रदान करती है। भारत में यह अकेली नदी घाटी (बेसिन) है जोकि संसाधनों से सम्पन्न है और अभी भी इसमें अतिरिक्त जल की बड़ी मात्रा उपलब्ध है। लेकिन दुर्भाग्य से दशकों से गंगा जैसी विशाल नदी लापरवाही और दुर्व्यवहार से जूझ रही है जिसका बहुत बड़ा कारण बढ़ती जनसंख्या है। गंगा के उल्लेख मात्र से मन में परस्पर विरोधाभासी छवियाँ सी उभरती हैं। एक ओर यह पवित्रता का प्रतीक है तो दूसरी ओर इसका पानी प्रदूषित, स्थिर और गंदगी व प्लास्टिक से भरा हुआ है। भारी प्रदूषण का भार, सूखे के मौसम में व्यापक सिंचाई के लिये अत्यधिक पृथक्करण, पानी की बढ़ती माँग और मुख्य धारा और सहायक नदियों को मोड़ा जाना, अवरुद्ध किया जाना, इससे गंगा पर बहुत असर पड़ता है। इसका परिणाम यह होता है कि इसके सहारे चलने वाला लाखों लोगों का जीवन और कामकाज प्रभावित होता है। (रुहल, 2015) इस प्रकार हम यह सोचने को मजबूर होते हैं कि किस तरह दुनिया की सबसे ताकतवर नदियों में से एक नदी कचरे का भंडार बन गई है।
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गंगा सफाई अभियान''
- भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी गंगा जो भारत और बांग्लादेश में मिलाकर 2510 किमी की दूरी तय करती हुई उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू भाग को सींचती है, देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, जन जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। 2071 कि.मी तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। 100 फीट (31 मीटर) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ और देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौंदर्य और महत्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किए गए हैं।
- वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस असीमित शुद्धीकरण क्षमता और सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसका प्रदूषण रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवंबर, 2008 में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (1600 किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग- को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया|
गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है जो हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है। गंगा के इस उदगम स्थल की ऊँचाई 3140 मीटर है। यहाँ गंगा जी को समर्पित एक मंदिर भी है। गंगोत्री तीर्थ, शहर से 19 कि॰मी॰ उत्तर की ओर 3892 मी.(12,770 फी.) की ऊँचाई पर इस हिमनद का मुख है। यह हिमनद 25 कि॰मी॰ लंबा व 4 कि॰मी॰ चौड़ा और लगभग 40 मी. ऊँचा है। इसी ग्लेशियर से भागीरथी एक छोटे से गुफानुमा मुख पर अवतरित होती है। इसका जल स्रोत 5000 मी. ऊँचाई पर स्थित एक बेसिन है। इस बेसिन का मूल पश्चिमी ढलान की संतोपंथ की चोटियों में है। गौमुख के रास्ते में 3600 मी. ऊँचे चिरबासा ग्राम से विशाल गोमुख हिमनद के दर्शन होते हैं। इस हिमनद में नंदा देवी, कामत पर्वत एवं त्रिशूल पर्वत का हिम पिघल कर आता है। यद्यपि गंगा के आकार लेने में अनेक छोटी धाराओं का योगदान है लेकिन छह बड़ी और उनकी सहायक पांच छोटी धाराओं का भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्त्व अधिक है।