गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।' इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
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आशय:-
"गरीब आदमी का शमशान नहीं उजाड़ना चाहिए।"
इस कथन में गहरा व्यंग है। विस्थापन या घर उजड़ने की पीड़ा किसी भी व्यक्ति के लिए प्राण न रहने के समान होती है तब उसके लिए घर व शमशान में कोई अंतर नहीं रह जाता। इसी मानसिक अवस्था से माटी वाली गुजर रही है। वह सोचती है कि विकास की इस अंध दौड़ में इन्सान मुर्दों को भी जगह नसीब नहीं हो रही। इसलिए वह आते - जाते लोगों से बस एक ही बात कह रही है कि ' गरीब आदमी का शमशान नहीं उजाड़ना चाहिए ' ।
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