गरीबी को मापने हेतु को से मानमण्ड हैं।समझिये।
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भारत में निर्धनता आंकलन के मापदंड (Parameter for Assessment of Indian Poverty) भारत में निर्धनता आंकलन के मापदंड इस प्रकार हैः 1960 का ... 1960 का दशकः भारत में पहली बार गरीबी-रेखा के निर्धारण का प्रयास योजना आयोग द्वारा 1962 में किया गया।
Explanation:
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भारत में गरीबी बहुत व्यापक है किन्तु बहुत तेजी से कम हो रही है। अनुमान है कि विश्व की सम्पूर्ण गरीब आबादी का तीसरा हिस्सा भारत में है। 2010 में विश्व बैंक ने सूचना दी कि भारत के 32.7% लोग रोज़ना की US$ 1.25 की अंतर्राष्ट्रीय ग़रीबी रेखा के नीचे रहते हैं और 68.7% लोग रोज़ना की US$ 2 से कम में गुज़ारा करते हैं।[1]
योजना आयोग के साल 2009-2010 के गरीबी आंकड़े कहते हैं कि पिछले पांच साल के दौरान देश में गरीबी 37.2 फीसदी से घटकर 29.8 फीसदी पर आ गई है।
यानि अब शहर में 28 रुपए 65 पैसे प्रतिदिन और गाँवों में 22 रुपये 42 पैसे खर्च करने वाले को गरीब नहीं कहा जा सकता. नए फार्मूले के अनुसार शहरों में महीने में 859 रुपए 60 पैसे और ग्रामीण क्षेत्रों में 672 रुपए 80 पैसे से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है, अथवा 2011-2012 में ग्रामीण क्षेत्र में 816 रुपये और शहर में 1000 रुपये निर्धारित की गई।