Hindi, asked by pujarihanumaiah, 5 hours ago

'गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै जाकी छोति जगत कउ लागे ता पर तुहीं ढरै।' इसका आशय स्पष्ट कीजिए ।
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Answers

Answered by deepak9140
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Explanation:

वे गरीब एवं दिन- दुखियों को समान भाव से देखने वाले हैं। वे छूत-अछूत में विश्वास नहीं करते हैं और मनुष्य-मनुष्य के बीच कोई भेदभाव नहीं करते। इसी कारणवश कवि को यह लग रहा है कि अछूत होने के बाद भी उन पर प्रभु ने असीम कृपा की है। प्रभु की इस कृपा की वजह से कवि को अपने माथे पर राजाओं जैसा छत्र महसूस हो रहा है।

Answered by nihasrajgone2005
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Answer:

इस पद का भावार्थ:- रैदास के पद की प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने प्रभु की कृपा एवं महिमा का वर्णन किया है। उनके अनुसार इस संपूर्ण जगत में प्रभु से बड़ा कृपालु और कोई नहीं। ... प्रभु की इस कृपा की वजह से कवि को अपने माथे पर राजाओं जैसा छत्र महसूस हो रहा है।

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Explanation:

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