गर्मी के दिन थे। दोपहर का समय। एक हाथी पानी की इच्छा से नाले की ओर आ निकला। नाले पर जाने वाला रास्ता शेर की मांद
के सामने से जाता था। हाथी को देखकर शेर के मन में कई दिन के परिश्रम को एक साथ सफल बनाने की बात आई और उसने
तुरंत हाथी पर हमला कर दिया। हाथी जवान था। अभी शेर का उसे इतना भय नहीं था। अपनी सुरक्षा में पूरी ताकत के साथ शेर से
भिड़ गया। दोनों में घमासान युद्ध हुआ। शेर उसकी गर्दन पर लपकता, हाथी अपनी सूंड से बचाव करता। शेर पीछे से हमला
करता, हाथी घूम जाता। शेर, शेर है। शेर उछलकर हाथी की पीठ पर पहुँचा और अपने पैने दाँत उसकी गर्दन में गड़ा दिए। हाथी
चिंघाड़ा। बचाव के लिए उसने अपनी सूंड ऊपर उठाई। जब सूंड गर्दन तक पहुँची तो शेर का अगला पंजा उसकी लपेट में आ गया।
उसने इतनी जोर से झटका मारा कि शेर न केवल नीचे गिरा बल्कि उसका पंजा भी टूट गया। अगले पंजे के टूटने पर वह तुरंत
उछल नहीं पाया इतनी देर में हाथी ने क्रोध में अपने दोनों लंबे दाँत उसके पेट में घुसेड़ दिए। दाँत इतने गहराई तक पहुँचे कि शेर
उठ भी न सका हाथी, शेर की असमर्थता भाँप वहाँ से चिघाड्ता हुआ भाग खड़ा हुआ। घायल शेर अपनी क्रोधित आँखों से भागते
हुए हाथी को बस देखता रहा।
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HEYA BUDDY WHAT WE HAVE TO DO IN IT?
#DRISHTI
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