गर्मियों की उमसभरी शामें बालगोबिन भगत प्राय: कैसे बिताते थे ?
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गर्मी की उष्मा भरी शामे बाल गोविंद भगत अपने तल्लीन आवाज में गाकर बिताते थे वे घर के बाहर एक आसन बिछा लेते थे और वहां कुछ लोग आ जाते थे बालगोबिन भगत आगे-आगे गाते थे एवं लोग उन्हें दोहराते थे ।बाल गोविंद भगत की आवाज को सुनकर किसानों के हाथ और पांव एक विशेष लय में चलने लगते थे ।और उनके प्रभाती बहुत ही शीतलता प्रदान करते थे।
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