Hindi, asked by bassumnayak, 7 months ago

गर्मियों में जब मैं दोपहर में काम करती रहती तो गिल्लू न बाहर जाता,
। अपने झूले में बैठता। वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता और इस
कार समीप भी रहता और ठंडक में भी रहता।
गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू
की जीवन-यात्रा का अंत आ ही गया। दिन भर उसने न कुछ खाया, न वह
हर गया।
पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि मैंने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता
ने का प्रयत्न किया। परन्तु प्रभात की प्रथम किरण के साथ ही वह चिर निद्रा
। सो गया।
उसका झूला उतारकर रख दिया गया है और खिड़की की जाली बंद कर
पन्त गिलहरियों की नयी पीढ़ी जाली के उस पार चिक-चिक करती​

Answers

Answered by anjali77312
0

Answer:kya krre Eskaa!!

Only Reading ......

Answered by pratiyushchauhan0
0

Answer:

गर्मियों में जब मैं दोपहर में काम करती रहती तो गिल्लू न बाहर जाता,

। अपने झूले में बैठता। वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता और इस

कार समीप भी रहता और ठंडक में भी रहता।

गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू

की जीवन-यात्रा का अंत आ ही गया। दिन भर उसने न कुछ खाया, न वह

हर गया।

पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि मैंने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता

ने का प्रयत्न किया। परन्तु प्रभात की प्रथम किरण के साथ ही वह चिर निद्रा

। सो गया।

उसका झूला उतारकर रख दिया गया है और खिड़की की जाली बंद कर

पन्त गिलहरियों की नयी पीढ़ी जाली के उस पार चिक-चिक करती ।

Similar questions