'गर्व ने अब लज्जा के सामने सिर झुका लिया' इस कथन का क्या अर्थ है?
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गर्व ने अब लज्जा के सामने सिर झुका दिया। शर्माते हुए बोले- 'यह आपकी उदारता है जो ऐसा कहते हैं। ... जो आज्ञा होगी वह मेरे सिर-माथे पर। अलोपीदीन ने विनीत भाव से कहा- 'नदी तट पर आपने मेरी प्रार्थना नहीं स्वीकार की थी, किंतु आज स्वीकार करनी पडेगी।
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