गर्वित ने अपने गुरु जी से क्या कहा?
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नई दिल्ली: आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरु पूजा का विधान है. गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है. यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है. वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी. इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है. उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है. भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे. शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक. गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है. अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरु’ कहा जाता है. आप गुरु पूर्णिमा के खास मौके पर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं देने के लिए इन खास संदेशों का इस्तेमाल कर सकते हैं
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तुम उसकी प्रशंसा कर उसे पतन और अहंकार की गर्त में गिराने लगे थे। अगर वह अपनी प्रशंसा से गर्वित हो जाता तो उसकी सारी तपस्या नष्ट हो जाती। प्रशंसा वह मीठा जहर है जिसे बिरले ही पचा पाते हैं। इस तरह गुरुजी ने अपने कड़वे बोल से दरअसल शिबली को अहंकार के जहर से बचाया था।
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