गरमी के मौसम में झमाझम बारिश वाला दिन (संकेत-बिंदु- तेजी से बढ़ता तापमान, लोगों, पेड़-पौधों व पशु-पक्षियों सहित सारी धरती का बेहाल होना, एक दिन बादलों का उमड़ना-घुमड़ना, बादलों को देख उनके बरसने की दुआ, बादलों का झमाझम बरसना, चैन मिलना आदि)
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बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की वजह से पेड़ लगातार कम हो रहे हैं। बाग-बगीचे और खेती को खत्म कर बहुमंजिला इमारतें बनाई जा रही हैं। वहीं, जलीय पक्षियों के आवास भी सुरक्षित नहीं है। इन्हें बचाने के लिए शासन स्तर से लेकर आम जन सभी का सहयोग जरूरी हो चला है। पशु-पक्षी प्रेमी भी इस ओर लगातार सराहनीय कदम उठा रहे हैं, लेकिन आम जन के बिना इन्हें बचाने की मुहिम बहुत पिछड़ती जा रही है।
पशु-पक्षी लोगों की जीभ की भेंट तो लगातार चढ़ ही रहे हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण भी इनकी संख्या लगातार कम हो रही है। बढ़ते तापमान और पेड़-पौधों की संख्या कम होने से यह प्राणी विलुप्त होते जा रहे हैं। वहीं, कानून की धज्जियां उड़ाते हुए पेड़-पौधों को काटा जा रहा है तो विभिन्न रसायनों के प्रयोग से पक्षियों की मौत हो रही है। जहरीले भोजन या पक्षियों की त्वचा के माध्यम से जहर इनके शरीर में पहुंचकर सबसे अधिक मौत का कारण बन रहे हैं।
उधर, गर्मी की तपन से इन्हें बचने के लिए जिस तरह इंसान को शुद्ध पानी और वायु की जरूरत होती है। उसी प्रकार गर्मी में पशु, पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम लोग करते हैं, ताकि पक्षियों को भी जीवन मिल सके। कई लोग अपने घरों की छतों पर बर्तन में पानी रखते हैं तो ऐसे भी लोग हैं, जो पक्षियों के लिए नियमित रूप से दाना डालते हैं। यह अलग बात है कि शहर में पक्षियों को अब सुरक्षित जगह कम ही मिल पा रही है। फिर भी जहां-जहां इन्हें पानी तथा दाना नजर आता है। वे सुबह, शाम आ ही जाते हैं।