गरमी का मौसम था। सिवनी की पहाड़ियों में बापू भेड़िया अपनी
गुफा
के अंदर शाम तक सोता रहा। जैसे ही उसे शाम के सात बजने का
अहसास हुआ, तो उसने नींद भगाने के लिए एक लंबी जम्हाई ली और
आँखें खोलकर अपने पंजों को फैलाने की कोशिश करने लगा। पास में
ही माता भेड़िया अपने चार नन्हे-नन्हे बच्चों की पीठ पर अपनी लंबी
थूथन रखकर आराम से सो रही थी। चाँद की रोशनी गुफा के अंदर
दिखाई देने लगी। शिकार का उचित समय जानकर बापू भेड़िए ने लंबी
हुंकार ली और नीचे छलाँग भरने लगा।
तभी बापू भेड़िया को गुफा के बाहर धीमी सी आवाज सुनाई दी
उसने दरवाजे पर देखा तो उसे लंबी पूँछवाली परछाईं दिखाई दी। व
परछाईं जूठन चाटनेवाले तबाकी की थी, जो कह रहा था, "मैं ढेर स
दुआएँ देता हूँ और भगवान् से प्रार्थना करता हूँ कि आज भाग्य तुम्
रतना शिकार मिले कि तम हम जैसे भूखों
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what should we do this story
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nice
Explanation:
गरमी का मौसम था। सिवनी की पहाड़ियों में बापू भेड़िया अपनी
गुफा
के अंदर शाम तक सोता रहा। जैसे ही उसे शाम के सात बजने का
अहसास हुआ, तो उसने नींद भगाने के लिए एक लंबी जम्हाई ली और
आँखें खोलकर अपने पंजों को फैलाने की कोशिश करने लगा। पास में
ही माता भेड़िया अपने चार नन्हे-नन्हे बच्चों की पीठ पर अपनी लंबी
थूथन रखकर आराम से सो रही थी। चाँद की रोशनी गुफा के अंदर
दिखाई देने लगी। शिकार का उचित समय जानकर बापू भेड़िए ने लंबी
हुंकार ली और नीचे छलाँग भरने लगा।
तभी बापू भेड़िया को गुफा के बाहर धीमी सी आवाज सुनाई दी
उसने दरवाजे पर देखा तो उसे लंबी पूँछवाली परछाईं दिखाई दी। व
परछाईं जूठन चाटनेवाले तबाकी की थी, जो कह रहा था, "मैं ढेर स
दुआएँ देता हूँ और भगवान् से प्रार्थना करता हूँ कि आज भाग्य तुम्
रतना शिकार मिले कि तम हम जैसे भूखों