Hindi, asked by kamleshdevi94594, 10 hours ago

गरमी की दोपहरी में फटे हुए जूते पहने आगे बढ़ता हुआ ग्रामीण क्या संदेश देता है ? दोपहरी कविता के आधार पर लिखें​

Answers

Answered by 8September2008
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Explanation:

जामिया बताना चाहता था कि वह भी कुछ कर सकता है वह हार नहीं मानेगा वह अपना पूरा कार्य करके दिखाएगा बल्ले दोपहर के घर में या फिर बात ही ठंड या फिर कोई तूफान या आंधी भी आ जाए

Answered by soniatiwari214
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उत्तर :

गर्मी की दुपहरी में फटे जूते पहने हुए तपती सड़क पर चलता ग्रामीण भारत के गांवों की दुर्दशा का संदेश देता है।

व्याख्या :

प्रस्तुत प्रश्न शकुंतल माथुर द्वारा भारतीय ग्रामीण जीवन की विषमताओं को केंद्र में रख कर पर लिखी गई कविता दोपहरी पर आधारित है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से माथुर जी ने भारत की 70% से अधिक आबादी जो गांवों में निवास करती है कि परेशानियों को बड़े ही मार्मिक ढंग से चित्रित किया है। इस कविता में आर्थिक विषमता भी उजागर हुई है जहां एक ओर शहर के अमीर लोगों के घरों के कुत्ते भी ठंडे पानी की टोंटी के नीचे आराम फरमा रहे हैं, वही गांव का एक आदमी आर्थिक अभावों के कारण कोलतार की काली तपती हुई सड़क पर भीषण दुपहरी में चलने को मजबूर है। सड़क पर चलता हुआ यह ग्रामीण भारत के गांवों की मार्मिक व दयनीय तस्वीर सामने लाता है।

#SPJ2

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