'गरदन का मोल लिए बिना' कौन कहाँ चढ़ गए और क्यों?
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शाहजहांपुर : 'कलम आज उनकी जय बोल, जला अस्थियां अपनी सारी, छिटकाई जिसने चिंगारी, जो चढ़ गए पुण्य वेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल। जलकर बुझ गए एक दिन मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल, कलम आज उनकी जय बोल। ' राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की ये पंक्तियां शायद परमवीर चक्र विजेता यदुनाथ सिंह पर सटीक बैठती हैं।
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