Hindi, asked by mani4735, 1 year ago

garmiyon ki chutti Mein nana nani ke ghar diary entry in hindi​

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Answered by KrystaCort
36

डायरी  लेखन  

Explanation:

मंगलवार

03.07.2019

प्रिय डायरी,

इस बार की गर्मियों की छुट्टियां मैंने अपने नाना नानी जी के घर पर बिताई। मेरे नानाजी मुझे प्रतिदिन सुबह सैर पर लेकर जाते थे और नानी जी मेरे लिए बहुत अच्छे-अच्छे पकवान बनाती थी।  

मैं पूरा दिन नाना नानी जी के साथ रहता था उनसे कहानियां सुनता था । उनसे मुझे बहुत सारी ज्ञान की बातें जानने को मिली।

नाना नानी जी एक बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। उनका हमारे जीवन में क्या महत्व है यह मुझे उनके साथ समय बिताकर पता चला। मैं अपनी आने वाली छुट्टियों में भी अपने नाना - नानी जी के घर ही जाऊंगा।

रिया चौधरी

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डायरी  लेखन

https://brainly.in/question/11486084

Answered by mapooja789
5

Answer:

लेखन डायरी

Explanation :

४//२०२२ , गुरुवार

नानी नाना का घर यह याद ही ऐसा है कि आप को पढ़ते ही वह पुरानी यादें ताजा होने लगेगी और आप पहुंच जाएंगे अपने बचपन में । जहां आप उन दिनों गर्मी की छुट्टियां और नाना नानी का घर एक दूसरे का पूरक हुआ करते थे, क्योंकि आज की तरह छुट्टी गंतव्य तो होता ही ना था वह नानी का घर छोड़कर हमें कहीं और छुट्टियां मनाने जाने की तमन्ना होती ही न थी । क्योंकि एक साल के इंतजार के बाद नानी के घर जाने खुशी ऐसी होती थी मानो राही को बड़े दिनों बाद मंजिल मिलना..... हमें आज भी अच्छी तरह से याद है कि, कैसे परीक्षा शुरू होने से पहले नाना का बुलावा आना फिर मम्मी और हम बच्चों को मायके (नानी के घर) भेजने के लिए पापा को मनाना। फिर और फिर तनिक देरी ना करते हुए नानी के घर जाने की शुरू हो जाती थी तैयारी

लंबे इंतजार के बाद जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंचते तो नज़रें नानाजी और मामाजी को ढूंढती।और जब वो दिखाई दे जाते तो जो खुशी महसूस होती वो बयां करना बहुत मुश्किल है । और जब नानी के घर (बिल्डिंग) के सामने पहुंचते तो वहां पहले से मौजूद बच्चे हाका (शोर) मारने लगते, ए... अरे देखो कौन आया और बिल्डिंग के सारे बच्चे और बड़े हमें मिलने नीचे आ जाते और कसकर गले लगा लेते। फ़िर शुरू होता मिलने मिलाने का दौर । उसके बाद हम सभी बच्चों का शरारते शुरू हो जाता ... नाना जी के साथ हम सारे बच्चे सुबह पांच बजे उठकर नीचे ग्राउंड फ्लोर मे बने पानी के हौद (टंकी) नहाना शुरू करतेऔर घर में पानी भी भरते हैं इस काम में हम सभी बच्चों मे बड़ा comptation होता कि कौन सबसे ज्यादा बाल्टी उठाता है। इसके बाद नानाजी हम सभी बच्चों को दूर तक सैर कराने शहर भी ले जाते और रास्ते भर हमें ढेरों किस्से कहानियां सुनाते जाते । वापसी में घर वापस आने पर नानी जी और मामीजी के हाथ का गरमागरम परांठा और दूध तैयार रहता जिसे हम बच्चे खट्टी मीठी कैरी के अचार के साथ हजम कर जाते थे । फ़िर हम बच्चे मिलकर सारी दोपहर खूब धमाल मचाते.. कभी छुपा छुपी, कभी पकड़म पकड़ाई, कभी नदी पहाड़, और कभी गुल्ली डंडा .. ना जाने कितने ही ऐसे खेल हम खेलते थे। और तब तक खेलते जब तक घर के बड़े बुलाने ना आ जाते फ़िर शाम को शुरू होता घूमने फिरने और रिश्तेदारों से मिलने जुलने का सिलसिला । नानीजी और मामीजी हमें लगभग रोज़ ही बाहर कहीं ना कहीं ले जाते, कभी खरीदारी करने, तो कभी किसी रिश्ते दार के घर, कभी मंदिर तो कभी सिनेमा दिखाने। कभी बगीचे में तो कभी कहीं और मज़े करते।घर पर भी लगभग रोज़ कुछ ना कुछ दावत होती.... कभी छोटे मामाजी चटपटी तीखी भेल बनाते, तो कभी मामीजी मज़ेदार वड़ापाव, कभी नानीजी के हाथ की लज़ीज़ पूरणपोली खाते,

और इस तरह महीने भर की गर्मीयो की छुट्टी कब बीत जाती पता भी ना चलता। और हम फिर से अगली गर्मी की छुट्टियों में आने का वादा करके नाना नानी, मामा मामी और परिवार के सभी लोग से फिर अपने घर वापस आ जाते।

#SPJ2

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