गतिज ऊर्जा को परिभाषित कीजिए और सूत्र की स्थापना कीजिए
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यह ऊर्जा के एक रूप होता है जो पिण्ड में उसकी गति के कारण निहित रहती है। जब कोई कण या पिण्ड गति करता है या गति कोणीय वेग , रेखीय वेग कुछ भी हो सकता है , इस गति के कारण पिण्ड में एक ऊर्जा निहित रहती है , पिण्ड में उसकी गति के कारण निहित इस ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते है।
जब कोई पिण्ड विराम अवस्था में रहता है तो इसे गति करवाने के लिए बाह्य बल द्वारा इस पर कार्य करना पड़ता है , गति करवाने के लिए पिण्ड पर किया गया यह कार्य इसमें ऊर्जा के रूप में निहित हो जाती है इसे गतिज उर्जा कहा जाता है।
किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा का मान पिण्ड की गति और इसके द्रव्यमान पर निर्भर करता है , पिण्ड की गति स्थानान्तरीय गति या घूर्णन गति या कम्पन्न गति कुछ भी हो सकती है अर्थात प्रत्येक गति के कारण वस्तु में एक ऊर्जा निहित होती है जिसको गतिज ऊर्जा कहते है।
यदि किसी पिण्ड में इसकी गति के कारण E मान की गतिज ऊर्जा निहित है तो इस पिण्ड की गति को रोकने के लिए E कार्य ऋणात्मक करना पड़ता है।
गतिज ऊर्जा का सूत्र (formula of kinetic energy)
माना एक वस्तु V वेग से गति कर रही है और इसका द्रव्यमान m है तो इस वस्तु की गति के कारण इसमें निहित गतिज ऊर्जा का मान इसके द्रव्यमान (m) के आधे और वेग (v) के वर्ग के गुणनफल के बराबर होता है।
पिण्ड की गतिज उर्जा को K द्वारा व्यक्त किया जाता है –k=1/2mv²
यदि कोई वस्तु घूर्णन गति कर रही है और इस वस्तु का जड़त्व आघूर्ण का मान I है तथा इसका कोणीय वेग w है तो इस घूर्णन गति कर रहे वस्तु की गतिज ऊर्जा का मान इसके जडत्व आघूर्ण के आधे और कोणीय वेग के वर्ग के गुणनफल के बराबर होती है।
घूर्णन गति कर रहे वस्तु की गतिज ऊर्जा = 1/2Iω2