गतिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा को परिभाषित कीजिये।
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Explanation:
गति के ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। इसका मान किसी वस्तु को उसके विराम अवस्था से वेग तक त्वरित करने में किये गए कार्य के बराबर होता है। जैसे ही वस्तु त्वरित होती है, उसको उसकी ऊर्जा मिल जाती है और यह गतिज ऊर्जा तब तक बराबर रहता है जब तक वस्तु की रफ़्तार नहीं बदलती। जब वस्तु आवत्वरित (deaccelerate) होकर अपने वर्तमान रफ़्तार से विराम अवस्था में आती है, तब भी कार्य का मान बराबर रहता है।
न्युटनियन यांत्रिकी (Newtonian Classical Mechanics) में इस बात का वर्णन है कि स्थूल (macroscopic) वस्तुएं प्रकाश की गति के छोटे से भाग के अनुसार गतिमान रहती हैं। जब कोई भारी वस्तु गतिमान है तो, तो उसकी गतिज ऊर्जा (E) का मान इस प्रकार होगा:
E = ½ * m * v2
जहाँ पर m वस्तु का भार है और v उसका वेग है ।
ऊर्जा एक आदिश राशि (scalar Quantity) है यानि कि यह दिशा (direction) और परिमाण (magnitude) पर निर्भर नहीं करता। जब भार का मान दुगुना हो जाता है, तब ऊर्जा का भी मान दुगुना हो जाता है, किन्तु जब वेग का मान दुगुना होता है, ऊर्जा का मान एक चौथाई (¼) हो जाता है।
गतिज ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण गुण उसके कार्य करने कि क्षमता है। गति की दिशा में जब वस्तु के ऊपर बल का प्रयोग होता है। कार्य और ऊर्जा एक दूसरे से सम्बंधित हैं और इनके मान को विनियमित (interchange) किया जा सकता है।
Explanation:
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है।