गद्दार आए कृपया पदों को चाहती है सुबह स्नान करके के बाद बाबा भारती के पास रोज की तरह अस्वद की ओर बढ़ गए फाटक पर पहुंचे उन्होंने अपनी भूल का पता चला वह वहीं रुक गए और सुल्तान ने बाबा के पैरों की आवाज पहचान ली और वहीं इन्नाया वह खुशी से दौड़ते हुए अंदर घुसे और घोड़े के गले से लिपट गए
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गद्दार आए कृपया पदों को चाहती है सुबह स्नान करके के बाद बाबा भारती के पास रोज की तरह अस्वद की ओर बढ़ गए फाटक पर पहुंचे उन्होंने अपनी भूल का पता चला वह वहीं रुक गए और सुल्तान ने बाबा के पैरों की आवाज पहचान ली और वहीं इन्नाया वह खुशी से दौड़ते हुए अंदर घुसे और घोड़े के गले से लिपट गए
गद्दार आए कृपया पदों को चाहती है सुबह स्नान करके के बाद बाबा भारती के पास रोज की तरह अस्वद की ओर बढ़ गए फाटक पर पहुंचे उन्होंने अपनी भूल का पता चला वह वहीं रुक गए और सुल्तान ने बाबा के पैरों की आवाज पहचान ली और वहीं इन्नाया वह खुशी से दौड़ते हुए अंदर घुसे और घोड़े के गले से लिपट गए
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