४ - १) गद्य आकलन : प्रश्न निर्मिती निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हो। हमारे देश में धर्मों-संप्रदायों के अनेक उपासना-गृह, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरूद्वरो है। सभी शांति चाहते हैं। पर शांति का दर्शन कहीं होता नहीं। हर जगह कोई-न-कोई आंदोलन छिड़ा है। पत्थर, सीमेंट, गारे-चुने से बने इन भव्य, पवित्र स्थानों से मनुष्य की नैतिकता को कोई बल क्यों नहीं मिलता? जरूरत इस बात की है कि इन धार्मिक स्थानों से नैतिकता और शांति का संदेश प्रसारित हो। इन स्थानों में परंपरागत पुजारियों की जगह गणमान्य विद्वान हो, जो हमारे मन को शांति दे और उसमें एक विशेष आस्था का संचार करें। हमें आज धार्मिक क्षेत्र में आवश्यकता है वैचारिक क्रांति की, सत्साहित्य की एवं चरित्र निर्माण की।
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पत्थर, सीमेंट, गारे-चुने से बने इन भव्य, पवित्र स्थानों से मनुष्य की नैतिकता को कोई बल क्यों नहीं मिलता?
Answer :- हमारे देश में धर्मों-संप्रदायों के अनेक उपासना-गृह, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरूद्वरो है। सभी शांति चाहते हैं।
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शनिम्नलिखित गद्यांश पढ़ कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर गद्य उसमें एक एक वाक्य में हो। 4
नए नए ढंग सेशन करना अा नए पैजान के पहला कोई बुरी बात नहीं है। पर पैशन का अनुकरण करना या उससे भी एक कदम आगे बढ़कर थोड़ी नकल करना हमारे संस्कार और वरण के कतई अनुकूत नहीं है। | विदेशी फिल्मों और दूरदर्शन चैनल के माध्यम से जो घर में अनचाहे मेहमान की तरह आ रहा है यह मैदा और भारतीय परिस्थितियों के प्रतिकूल है। विदेशी का चलन महानगरों में खूब चल रहा है। स्कूल की लड़कियों से लेकर कामकाजी महिलाओं और कुछ आधुनिकों की का पहनावा भी उदा में | ज्यादा प्रदर्शनकारी होता जा रहा है। हमें अपने भारतीय भूमि पर ही नए को अपनाना चाहिए। | पाहपरिक भारतीय मूल्यों पर कुठाराघात नहीं होगा और हमारी संस्कृतिजन्य राष्ट्रीय विरासत भी सुरक्षित रहेगी।
● किस तरह के कपड़े पहनना कोई बुरी बात नहीं है? • हमारे संस्कार और वातावरण के कतई अनुकूल नहीं है?
● किस तरह का फैशन भारतीय परिस्थितियों के प्रतिकूत है?
• हमें किस तरह के फैशन को अपनाना चाहिए?