गद्य जीवन संग्राम की भाषा है यह कथन किसका है रामचंद्र शुक्ल
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
प्रेमचंद
रेल्फ़ फॉक्स
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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
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सूर्यप्रसाद दीक्षित ने निराला जी की जयंती की पर उन्हें नमन करते हुये कहा- निराला ने गद्य को जीवन के संग्राम की भाषा कहा. निराला जीवन संग्राम से जुड़े लेखक थे. उनका साहित्य जगत में प्रवेश गद्य के माध्यम से हुआ. 1918 में आई महामारी का वर्णन निराला के उपन्यास 'कुल्ली भाट' में मिलता है
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