Hindi, asked by pawanmishra65367, 1 month ago

गद्य-काव्य विधा की दो प्रमुख विशेषताएं लिखिए।​

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Answered by sqq4567
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किसी सघन अनुभूति को कलात्मक लय से गद्य में प्रस्तुत करना गद्यकाव्य कहलाता है। यह गद्य की आधुनिक विधा है। गद्यकाव्य में रसमयता, कलात्मकता, भावात्मक और चमत्कारिकता गद्यकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

Answered by payalchatterje
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गद्य-काव्य विधा की दो प्रमुख विशेषताएं:

1) गद्यकाव्य साहित्य की आधुनिक विधा है। गद्य में भावों को इस प्रकार अभिव्यक्त करना कि वह काव्य के निकट पहुँच जाए वही गद्य काव्य अथवा गद्य गीत कहलाता है। यह विधा संस्कृत साहित्य में कथा और आख्यायिकी के लिए प्रयुक्त होता था। दण्डी ने तीन प्रकार के काव्य बताए थे: गद्य काव्य, पद्य काव्य और मिश्रित काव्य।

रामकुमार वर्मा ने ‘शबनम’ की भूमिका में गद्यकाव्य पर विचार किया और गद्यगीत का प्रयोग करते हुए कहा: “गद्यगीत साहित्य की भावानात्मक अभिव्यक्ति है। इसमें कल्पना और अनुभूति काव्य उपकरणों से स्वतंत्र होकर मानव-जीवन के रहस्यों को स्पष्ट करने के लिए उपयुक्त और कोमल वाक्यों की धारा में प्रवाहित होती है।”

2) गद्यकाव्य गद्य की ऐसी विधा है, जिसमे कविता जैसी रसमयता, रमणीयता, चित्रात्मकता और संवेदनशीलता होती है। हिन्दी में रायकृष्ण दास जो गद्य काव्य के जनक माने जाते है, इन्होने अनेक आध्यात्मिक गद्यकाव्यों की रचना की है।

हिन्दी में रायकृष्ण दास गद्य काव्य के जनक माने जाते हैं। इन्होने अनेक आध्यात्मिक गद्य काव्यों की रचना की। ‘साधना’ 1916 में आई इनकी पहली रचना थी। गद्यकाव्य की रचना की प्रेरणा रवीन्द्रनाथ टैगोर जी के ‘गीतांजलि’ के हिन्दी अनुवाद से प्राप्त हुई थी।

कुछ आलोचकों ने भारतेंदु को ही इस विधा का जनक माना है। प्रेमघन, जगमोहन सिंह आदि भारतेंदु के सहयोगियों की रचनाओं में गद्यकाव्य की झलक मिलती है। ब्रजनंदन सहाय के सौन्दर्योपासक को हिन्दी का प्रथम गद्य काव्य माना है |

यह एक हिन्दी प्रश्न है। दो और हिन्दी प्रश्न,

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