Hindi, asked by komaljangra458, 10 months ago

गद्यांश 1
मजदूरी करने से हृदय पवित्र होता है; संकल्प दिव्य लोकांतर में विचरते हैं। हाथ की मजदूरी से ही सच्चे ऐश्वर्य
की उन्नति होती है। जापान में मैने ऐसी कलावती कन्याओं और स्त्रियों को देखा है कि वे रेशम के छोटे-छोटे
टुकड़ों को अपनी दस्तकारी की बदौलत हजारों की कीमत का बना देती हैं; नाना प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों और
दृश्यों को अपनी सुई से कपड़े के ऊपर अंकित कर देती हैं। जापान-निवासी कागज़, लकड़ी और पत्थर की बड़ी
अच्छी मूर्तियाँ बनाते हैं। करोड़ों रुपए के हाथ के बने हुए जापानी खिलौने विदेशों में बिकते हैं। हाथ की बनी हुई
चीजें मशीन से बनी हुई चीजों को मात करती हैं। संसार के सब बाज़ारों में उनकी बड़ी माँग रहती है। पश्चिमी
देशों के लोग हाथ की बनी हुई जापान की अद्भुत वस्तुओं पर, जान देते हैं। एक जापानी तत्वज्ञानी का कथन है
कि उनकी दस करोड़ उँगलियाँ सारे काम करती हैं। इन्हीं उँगलियों के बल से संभव है, वे जगत को जीत लें।
जब तक धन और ऐश्वर्य की जन्मदात्री हाथ की कारीगरी की उन्नति नहीं होती, तब तक भारतवर्ष ही की क्या,
किसी भी देश या जाति की दरिद्रता दूर नहीं हो सकती।
(क) जापान की कलावती कन्याएँ क्या करती हैं?
(ख) जापानी लोग विश्व में क्यों जाने जाते हैं?
(ग) किसी भी देश और जाति की दरिद्रता किस प्रकार दूर हो सकती है?
(घ) मजदूरी करने से क्या होता है?
(ङ) इस गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए।
apthit gadyansh​

Answers

Answered by kumar789456321
4
  1. वह रेशम के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी दस्त करी की बदौलत हजारों की कीमत का बना देती है
  2. जापानी निवासी कागज की लकड़ी और पत्थर की बड़ी अच्छी मूर्तियां बनाते हैं करोड़ों रुपए के हाथ के बने हुए जापानी खिलौने विदेशों में बिकते हैं
  3. जब तक धन और ऐश्वर्या की जन्म दादरी हाथ की कारीगरी की उन्नति नहीं होती तब तक किसी भी देश और जाति की दरिद्रता दूर नहीं हो सकती
  4. मजदूरी करने से हृदय पवित्र होता है
  5. जापान की कलाकृतियां
Answered by bindhusudhir2014
0

Explanation:

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