Hindi, asked by Theultimatehero20, 1 year ago

गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए-
गीता के इस उपदेश की लोग प्रायः चर्चा करते हैं कि कर्म करें, फल की इच्छा न करें। यह कहना तो सरल है पर पालन उतना सरल नहीं। कर्म के मार्ग पर आनन्दपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अन्तिम फल तक न भी पहुँचे तो भी उसकी दशा कर्म न करने वाले की उपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक तो कर्म करते हुए उसका जो जीवन बीता वह संतोष या आनन्द में बीता, उसके उपरांत फल की अप्राप्ति पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया। फल पहले से कोई बना-बनाया पदार्थ नहीं होता। अनुकूल प्रयत्न-कर्म के अनुसार, उसके एक-एक अंग की योजना होती है। किसी मनुष्य के घर का कोई प्राणी बीमार है। वह वैद्यों के यहाँ से जब तक औषधि ला-लाकर रोगी को देता जाता है तब तक उसके चित्त में जो संतोष रहता है, प्रत्येक नए उपचार के साथ जो आनन्द का उन्मेष होता रहता है- यह उसे कदापि न प्राप्त होता, यदि व रोता हुआ बैठा रहता। प्रयत्न की अवस्था में उसके जीवन का जितना अंश संतोष, आशा और उत्साह में बीता, अप्रयत्न की दशा में उतना ही अंश केवल शोक और दुख में कटता। इसके अतिरिक्त रोगी के न अच्छे होने की दशा में भी वह आत्म-ग्लानि के उस कठोर दुख से बचा रहेगा जो उसे जीवन भर यह सोच-सोच कर होता कि मैंने पूरा प्रयत्न नहीं किया।
कर्म में आनन्द अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनन्द भरा रहता है कि कर्ता को वे कर्म ही फल-स्वरूप लगते हैं। अत्याचार का दमन और शमन करते हुए कर्म करने से चित्त में जो तुष्टि होती है वही लोकोपकारी कर्मवीर का सच्चा सुख है।
(क) कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा नहीं होता क्योंकिः
(i) अंतिम फल पहुँच से दूर होता है
(ii) प्रयत्न न करने का भी पश्चाताप नहीं होता
(iii) वह आनन्दपूर्वक काम करता रहता है
(iv) उसका जीवन संतुष्ट रूप से बीतता है
(ख) घर के बीमार सदस्य का उदाहरण क्यों दिया गया है?
(i) पारिवारिक कष्ट बताने के लिए
(ii) नया उपचार बताने के लिए
(iii) शोक और दुख की अवस्था के लिए
(iv) सेवा के संतोष के लिए
(ग) ‘कर्मण्य’ किसे कहा गया है?
(i) जो काम करता है
(ii) जो दूसरों से काम करवाता है
(iii) जो काम करने में आनन्द पाता है
(iv) जो उच्च और पवित्र कर्म करता है
(घ) कर्मवीर का सुख किसे माना गया हैः
(i) अत्याचार का दमन
(ii) कर्म करते रहना
(iii) कर्म करने से प्राप्त संतोष
(iv) फल के प्रति तिरस्कार भावना
(ङ) गीता के किस उपदेश की ओर संकेत हैः
(i) कर्म करें तो फल मिलेगा
(ii) कर्म की बात करना सरल है
(iii) कर्म करने से संतोष होता है
(iv) कर्म करें फल की चिंता नहीं

Answers

Answered by Geekydude121
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प्रथम प्रश्न (क) का उत्तर होगा (iii)-- वह आनन्दपूर्वक काम करता रहता है।

(ख) का उत्तर होगा (iv)--सेवा के संतोष के लिए

(ग) का उत्तर होगा (iii)-- जो काम करने में आनन्द पाता है

(घ) का उत्तर होगा (i)-- अत्याचार का दमन

(ङ) का उत्तर होगा (iv)-- कर्म करें फल की चिंता नहीं।
Answered by gautamkr4mnwd
5

Answer:

1--c

2--d

3--c

4--c

5--d

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