गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-.
1x3-3
वैदिक युग भारत का प्राय: सबसे अधिक स्वाभाविक काल था। यही कारण है कि आज तक भारत का मन उस काल की
ओर बार-बार लोभ से देखता है। वैदिक आर्य अपने युग को स्वर्णकाल कहते थे या नहीं, यह हम नहीं जानते किंतु उनका समय
हमें स्वर्णकाल के समान अवश्य दिखाई देता है। लेकिन जब बौद्ध युग का आरंभ हुआ, वैदिक समाज की पोल खुलने लगी
और चिंतकों के बीच उसकी आलोचना आरंभ हो गई। बौद्ध युग अनेक दृष्टियों से आज के आधुनिक आदोलन के समान था।
ब्राहमणों की श्रेष्ठता के विरुद्ध बुद्ध ने विद्रोह का प्रचार किया था, बुद्ध जाति प्रथा के विरोधी थे और वे मनुष्य को जन्मना नहीं
कर्मणा श्रेष्ठ या अधम मानते थे।
नारियों को भिक्षुणी होने का अधिकार देकर उन्होंने यह बताया था कि मोक्ष केवल पुरुषों के ही निमित्त नहीं है, उसकी
अधिकारिणी नारियाँ भी हो सकती हैं। बुद्ध की ये सारी बातें भारत को याद रही हैं और बुद्ध के समय से बराबर इस देश में ऐसे
लोग उत्पन्न होते रहे हैं. जो जाति-प्रधा के विरोधी थे, जो मनुष्य को जन्मना नहीं, कर्मणा श्रेष्ठ या अधम समझते थे। किंतु बुद्ध
में आधुनिकता से बेमेल बात यह थी कि वे निवृत्तिवादी थे, गृहस्थी के कर्म से वे भिक्षु-धर्म को श्रेष्ठ समझते थे।
(क) वैदिक युग स्वर्णकाल के समान क्यों प्रतीत होता है?
(ख) जाति-प्रथा एवं नारियों के विषय में बुद्ध के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
(ग) बुद्ध पर क्या आरोप लगता है और उनकी कौन-सी बात आधुनिकता के प्रसंग में ठीक नहीं बैठती?
खंड-(ब)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अपने पाठ्यपुस्तक के अनुसार दीजिए-
3x4-12
प्रश्न 1. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है ? स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 2. हिंदू कितने वेदों को प्रकाशित धर्म ग्रंथ मानते हैं ?
प्रश्न 3.व्यक्तिवाचक और जातिवाचक संज्ञा में उदाहरण सहित अंतर स्पष्ट कीजिए?
प्रश्न 4. सर्वनाम किसे कहते हैं इसके कितने भेद हैं ? नाम लिखिए।
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