गठबंधन के युग के कारण प्रधानमंत्री की शक्तियों पर क्या प्रभाव पड़े हैं
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गठबन्धन सरकार एक संसदीय सरकार की कैबिनेट होती हैं, जिसमें कई राजनीतिक दल सहयोग करते हैं, जिससे गठबन्धन के भीतर किसी भी एक दल का प्रभुत्व कम रहता हैं। इस व्यवस्था का आम कारण यह दिया जाता हैं कि कोई दल अपने बलबूते संसद में बहुमत प्राप्त नहीं कर सकता। एक गठबन्धन सरकार राष्ट्रीय संकट के समय भी बनाई जा सकती हैं (उदाहरण के लिये, युद्ध या आर्थिक संकट के दौरान), जो सरकार को उच्च स्तर की राजनीतिक औचित्यपूर्णता या सामूहिक पहचान दे सकती हैं, जो उसे चाहिये व साथ ही, आन्तरिक राजनीतिक विग्रह को कम करने में भी भूमिका निभा सकती हैं। ऐसे समय में, दलों ने "सर्वदलीय गठबन्धन" (राष्ट्रीय एकता सरकारे, महागठबन्धन) बनायें हैं। यदि कोई गठबन्धन गिर जाता हैं, तो एक विश्वास मत होता हैं या अविश्वास प्रस्ताव लिया जाता हैं।
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भारतीय लोकतंत्रा संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, जहां जमीनी सच्चाई देश को गठबंधन की राजनीति की ओर ध्केल रही है। पिछले दशक से लगभग हर चुनावों के बाद किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण विभिन्न दलों की मिली जुली सरकार केन्द्र व राज्यों में निर्मित हो रही है। जिसे गठबंधन सरकार या कई दलों की मिली जुली मिश्रित सरकार कहा जाता है। संसदीय लोकतंत्रा में सरकार का गठन, उसका संचालन, पुनर्निर्माण, विशिष्ट संसाध्नों की उपलब्ध्ता, सहयोगियों की निश्चित संख्या, सुनिश्चित राजनीतिक आधर एवं राजनीतिक निपुणता आदि कारकों पर आधरित होता है। गठबंधन की राजनीति परिस्थितियों के गर्भ से उत्पन्न होती है। संसदीय शासन प्रणाली में उसी राजनीतिक दल को सरकार के गठन का अध्किार मिलता है जिसके पास विधयिका के निचले सदन में आधे से अध्कि सदस्यों का समर्थन प्राप्त होता है।
भारतीय लोकतंत्रा संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, जहां जमीनी सच्चाई देश को गठबंधन की राजनीति की ओर ध्केल रही है। पिछले दशक से लगभग हर चुनावों के बाद किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण विभिन्न दलों की मिली जुली सरकार केन्द्र व राज्यों में निर्मित हो रही है। जिसे गठबंधन सरकार या कई दलों की मिली जुली मिश्रित सरकार कहा जाता है। संसदीय लोकतंत्रा में सरकार का गठन, उसका संचालन, पुनर्निर्माण, विशिष्ट संसाध्नों की उपलब्ध्ता, सहयोगियों की निश्चित संख्या, सुनिश्चित राजनीतिक आधर एवं राजनीतिक निपुणता आदि कारकों पर आधरित होता है। गठबंधन की राजनीति परिस्थितियों के गर्भ से उत्पन्न होती है। संसदीय शासन प्रणाली में उसी राजनीतिक दल को सरकार के गठन का अध्किार मिलता है जिसके पास विधयिका के निचले सदन में आधे से अध्कि सदस्यों का समर्थन प्राप्त होता है।ऐसी सरकार राजनीतिक सत्ता का प्रमुख केन्द्र होती है। इसके सभी सदस्य अथवा मंत्राीगण सामान्यतया एक ही राजनीतिक दल अथवा विचारधरा के प्रति प्रतिब( होते हैं इसलिए ऐसी सरकारों पर दलीय एकाध्किार होता है। लेकिन यदि आम चुनाव के पश्चात सदन में किसी राजनीतिक दल अथवा गुट को साधरण बहुमत हासिल नहीं हुआ है तो परिस्थिति गठबंधन राजनीति के निर्माण का आधर बनती है। जिसमें शामिल प्रत्येक घटक दल अपनी प्राथमिकताओं के निर्धरण एवं विकल्पों का चुनाव करते समय दलीय हित्त को सर्वोपरि महत्व देते हैं। हमारा देश गठबंधन सरकारों के युग में प्रवेश कर चुका है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी जैसे दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों के अतिरिक्त क्षेत्राीय दल भी भारतीय राजनीति का अटूट हिस्सा बन चुके हैं। भारत एक बहुभाषी, बहुध्र्मी और बहुजातीय समाज है। छोटे-छोटे जातीय या क्षेत्राीय समूह अपनी पहचान बनाए रखने के इच्छुक रहते हैं।
भारतीय लोकतंत्रा संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, जहां जमीनी सच्चाई देश को गठबंधन की राजनीति की ओर ध्केल रही है। पिछले दशक से लगभग हर चुनावों के बाद किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण विभिन्न दलों की मिली जुली सरकार केन्द्र व राज्यों में निर्मित हो रही है। जिसे गठबंधन सरकार या कई दलों की मिली जुली मिश्रित सरकार कहा जाता है। संसदीय लोकतंत्रा में सरकार का गठन, उसका संचालन, पुनर्निर्माण, विशिष्ट संसाध्नों की उपलब्ध्ता, सहयोगियों की निश्चित संख्या, सुनिश्चित राजनीतिक आधर एवं राजनीतिक निपुणता आदि कारकों पर आधरित होता है। गठबंधन की राजनीति परिस्थितियों के गर्भ से उत्पन्न होती है। संसदीय शासन प्रणाली में उसी राजनीतिक दल को सरकार के गठन का अध्किार मिलता है जिसके पास विधयिका के निचले सदन में आधे से अध्कि सदस्यों का समर्थन प्राप्त होता है।ऐसी सरकार राजनीतिक सत्ता का प्रमुख केन्द्र होती है। इसके सभी सदस्य अथवा मंत्राीगण सामान्यतया एक ही राजनीतिक दल अथवा विचारधरा के प्रति प्रतिब( होते हैं इसलिए ऐसी सरकारों पर दलीय एकाध्किार होता है। लेकिन यदि आम चुनाव के पश्चात सदन में किसी राजनीतिक दल अथवा गुट को साधरण बहुमत हासिल नहीं हुआ है तो परिस्थिति गठबंधन राजनीति के निर्माण का आधर बनती है। जिसमें शामिल प्रत्येक घटक दल अपनी प्राथमिकताओं के निर्धरण एवं विकल्पों का चुनाव करते समय दलीय हित्त को सर्वोपरि महत्व देते हैं। हमारा देश गठबंधन सरकारों के युग में प्रवेश कर चुका है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी जैसे दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों के अतिरिक्त क्षेत्राीय दल भी भारतीय राजनीति का अटूट हिस्सा बन चुके हैं। भारत एक बहुभाषी, बहुध्र्मी और बहुजातीय समाज है। छोटे-छोटे जातीय या क्षेत्राीय समूह अपनी पहचान बनाए रखने के इच्छुक रहते हैं।हमारा देश समृृ( विविधताओं से भरपूर हैं। ये विविधताएं अक्सर राजनीतिक क्षेत्रा में अभिव्यक्त होती हैं। हमारे समाज की इस जटिल रचना को मानने और स्वीकार करने की आवश्यकता है ताकि गठबंधन सरकारें सफलतापूर्वक चलाई जा सकें। वास्तव में कोई भी राजनीतिक गठबंधन उसमें भागीदार राजनीतिक दलों के कार्यक्रम तथा उनकी सामाजिक एवं वर्गीय अध्रिचना के आधर पर निर्मित होता है। लेकिन कभी-कभी राजनीतिक विवशताएँ भी रानीतिक दलों को गठबंधन करने के लिए मजबूर कर देती हैं। उदाहरणस्वरूप वर्तमान समय में भारतीय राजनीति में जाति की प्रभावशीलता चरम पर होने के बावजूद अकेले सत्ता प्राप्त करने में सक्षम नहीं है। इसलिए इसकी प्रतिपूर्ति या तो दल परिवर्तन के द्वारा अथवा सरकार के निर्माण के लिए दलों के आपसी गठबंधन के रूप में होती है।
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