Political Science, asked by vimalmadhuri08, 2 months ago

गठबंधन सरकार के लाभ और हानियों का वर्णन​

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Answered by riyaz1499
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गठबन्धन सरकार एक संसदीय सरकार की कैबिनेट होती हैं, जिसमें कई राजनीतिक दल सहयोग करते हैं, जिससे गठबन्धन के भीतर किसी भी एक दल का प्रभुत्व कम रहता हैं। इस व्यवस्था का आम कारण यह दिया जाता हैं कि कोई दल अपने बलबूते संसद में बहुमत प्राप्त नहीं कर सकता। एक गठबन्धन सरकार राष्ट्रीय संकट के समय भी बनाई जा सकती हैं (उदाहरण के लिये, युद्ध या आर्थिक संकट के दौरान), जो सरकार को उच्च स्तर की राजनीतिक औचित्यपूर्णता या सामूहिक पहचान दे सकती हैं, जो उसे चाहिये व साथ ही, आन्तरिक राजनीतिक विग्रह को कम करने में भी भूमिका निभा सकती हैं। ऐसे समय में, दलों ने "सर्वदलीय गठबन्धन" (राष्ट्रीय एकता सरकारे, महागठबन्धन) बनायें हैं। यदि कोई गठबन्धन गिर जाता हैं, तो एक विश्वास मत होता हैं या अविश्वास प्रस्ताव लिया जाता हैं।पिछले दस वर्षों से देश में राजनीतिक स्थिति ऐसी है कि 75 प्रतिशत राज्यों में गठबंधन सरकारें ही सत्ता में हैं। उससे पहले एक दल की ही सत्ता रहती थी। केंद्र में और कमोबेश राज्यों में भी। किंतु अब माहौल पलट गया है। उत्तर प्रदेश में पिछले चार चुनावों में मतदाताओं ने गठबंधन के पक्ष में मतदान किया। चार चुनाव हुए, किंतु कोई एक दल बहुमत प्राप्त करने में नाकामयाब रहा। नतीजतन गठबंधन सरकार स्थापित करने की अवधारणा जड़ें जमाती गई। पांच साल से केंद्र में भी गठबंधन सरकार का प्रयोग आजमाया जा रहा है।

मुझे यकीन है कि गठबंधन की प्रक्रिया से गुजरते हुए राजनीति में ऐसा ध्रुवीकरण होगा कि देश में द्वि-दलीय व्यवस्था स्थापित होगी। पहले हमने एकदलीय सत्ता देखी, फिलहाल बहुदलीय सत्ता का अनुभव ले रहे हैं। निकट भविष्य में द्वि-दलीय राजनीतिक व्यवस्था स्थापित होने की संभावना है। यह बदलाव पहले राष्ट्रीय स्तर पर आ सकता है। प्रदेशों में आने में थोड़ी देर लगेगी। तब तक हमें मतदाताओं का फैसला मानकर छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर बहुदलीय शासन ही चलाना होगा। मतदाता यह जानने एवं महसूस करने के बावजूद कि गठबंधन सरकार में फैसला करना एवं लागू करना दोनों ही मुश्किल होता है, किसी एक दल को जनादेश नहीं दे रहे हैं। लिहाजा राजनीतिक दलों को मिली-जुली सरकारों की अनिवार्यता स्वीकार करनी पड़ रही है।

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