गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा) इस पंक्ति से क्या मतलब है?
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संत कवि कबीर ने कहा है- तेरी गठरी पे लागा चोर मुसाफिर जाग जरा.l
कबीर साहित्य में निष्णात और कबीर के अध्येता इसके गूढ़ार्थ को स्पष्ट कर सकते हैं। मैं तो इतना ही सोच पाया कि कबीर जीवन यात्रा पर चल रहे सामान्यजन को चेता रहे हैं कि जिन्होंने अपने सत्कर्मों से पुण्य कमाया है
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