Hindi, asked by shivamprajapati1524, 5 months ago

गदयांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए नेताजी सुंदर लग रहे थे । कुछ कुछ मासूम और कमसिना फौजी वर्दी में । मूर्ति को देखते ही दिल्ली चलो । और तुम मुझे खून दो वगैरह याद आने लगते थे । इस दृष्टि से यह सफल और सराहनीय प्रयास था । केवल एक चीज़ की कसर थी जो खटखती थी । नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं था । यानी चश्मा तो था , लेकिन संगमरमर का नहीं था । एक सामान्य और सचमुच के चश्मे की चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था । हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से गुजरे और चौराहे पर पान खाने के तभी उन्होंने इसे लक्षित किया और उनके चेहरे पर एक कौतुकभरी मुस्कान फैल गई । वाह भई ! यह आइडिया भी ठीक है । मूर्ति पत्थर की , लेकिन चश्मा रियल । जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बरे में ही सोचते रहे , और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कुल मिलकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए । महत्व मूर्ति के रंग - कप या कद का नहीं , उस भावना का है वरना देश - भक्ति भी आजकल मजाक की चीज़ होती जा रही है । उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

1 किस रष्टि से यह कहा जा सकता है कि मूर्ति बनाने का प्रयास सफल और सराहानीय था ?

2 हालदार साहब को मूर्ति के बारे में क्या विचित्र लगता था ।

3 हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का प्रयास सराहनीय क्यों लगा ?

4हालदार साहब को कौन सा आइडिया बहुत अच्छा लगा ?

Answers

Answered by shishir303
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दिए गए गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार होंगे...

1. किस दृष्टि से यह कहा जा सकता है कि मूर्ति बनाने का प्रयास सफल और सराहानीय था ?

➲ जब हालदार साहब ने फौजी वर्दी में नेता जी की मूर्ति देखकर नेताजी के नारे तुम मुझे खून दो और दिल्ली चलो जैसे नारे याद आने लगे। इस दृष्टि से मूर्ति बनाने का प्रयास सफल और सराहनीय था।

2. हालदार साहब को मूर्ति के बारे में क्या विचित्र लगता था।

➲  हालदार साहब को मूर्ति के बारे में यह विचित्र बात लगती थी कि नेता जी की मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं था। यानि मूर्ति पर चश्मा तो था लेकिन वह संगमरमर का नहीं एक सामान्य फ्रेम का वास्तविक चश्मा मूर्ति को पहना दिया गया था।

3. हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का प्रयास सराहनीय क्यों लगा ?

➲ हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का प्रयास सराहनीय इसलिए लगा क्योंकि नागरिकों ने जो मूर्ति बनाई थी। उससे उनकी देशभक्ति की भावना का पता चलता था। महत्व मूर्ति के रंग-रूप, कद-काठी नहीं था बल्कि उस भावना का था, जिसके कारण कस्बे के निवास नागरिकों ने वहाँ स्थापित की।

4. हालदार साहब को कौन सा आइडिया बहुत अच्छा लगा ?

➲ हालदार साहब को यह आइडिया अच्छा लगा की मूर्ति पत्थर की थी लेकिन उस पर चश्मा वास्तविक था।

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संबंधित कुछ और प्रश्न—▼

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के अंत में हालदार साहब की प्रसन्नता का कारण क्या है ?  

https://brainly.in/question/29917320

कैप्टन के चरित्र की कोई दो विशेषताएँ बताइए। (नेताजी का चश्मा)  

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