Hindi, asked by vinitamanu1984, 2 months ago

गधे की सज़ा
पठन के
लिए
गधा एक था मोटा-ताज़ा,
बन बैठा वह वन का राजा।
कहीं सिंह का चमड़ा पाया,
झट वैसा ही रूप बनाया।
सबको खूब डराता वन में,
फिरता आप निडर हो मन में।
एक रोज़ जो जी में आई,
लगा गरजने, धूम मचाई।
सबके आगे ज्यों ही बोला,
भेद गधेपन का सब खोला।
फिर तो झट सबने आ पकड़ा,
बुरा-भला कह छीना चमड़ा।
देता गधा न धोखा भाई,
तो उसकी होती न हँसाई।
सुखराम चौबे ‘गुणाकर'​

Answers

Answered by alfashaikh777
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Answer:

गधा एक था मोटा ताजा,

बन बैठा वह वन का राजा!

कहीं सिंह का चमड़ा पाया,

चट वैसा ही रूप बनाया!

सबको खूब डराता वन में,

फिरता आप निडर हो मन में,

एक रोज जो जी में आई,

लगा गरजने धूम मचाई!

सबके आगे ज्यों ही बोला,

भेद गधेपन का सब खोला!

फिर तो झट सबने आ पकड़ा,

खूब मार छीना वह चमड़ा!

देता गधा न धोखा भाई,

तो उसकी होती न ठुकाई!

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