Gaura k mrityu sangharsh ka varnan kijiye
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don't know................
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महादेवी ने 'गौरा' को मृत्यु से संघर्ष करते देखा था। वह शरीर के अन्दर स्थित सुई की भयानक चुभन सहती थी तथा बाहर इंजेक्शनों के सिरिंज की चुभन भी बर्दाश्त करती थी। इससे उसको जो पीड़ा तथा व्यथा होती थी वह महादेवी के अनुमान से बाहर की बात नहीं थी। उनकी दृष्टि में उससे अधिक कष्टकारक कोई और बात नहीं हो सकती थी।
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