Gaurav purn Kranti se aap kya samajhte hain
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गौरवपूर्ण क्रांति से आशय इंग्लैंड में हुई गौरवपूर्ण क्रांति से है।
सन् 1688 ईस्वी में इंग्लैंड में इंग्लैंड के राजा जेम्स द्वितीय के खिलाफ जनता द्वारा क्रांति की गई, जिसके कारण इंग्लैंड के तत्कालीन राजा जेम्स द्वितीय को अपना राज सिंहासन गवांना पड़ा था।
इस क्रांति को गौरवपूर्ण क्रांति इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह एक रक्तहीन क्रांति थी और इस क्रांति में दोनों में से किसी भी पक्ष के व्यक्ति के रक्त की एक भी बूंद नहीं बही। यह क्रांति केवल अहिंसक प्रदर्शन और आपसी बातचीत से ही सफल हो गई थी।
इंग्लैंड का राजा जेम्स द्वितीय कैथोलिक धर्म का कट्टर अनुयायी था और उसने प्रोटोस्टेंट धर्म के लोगों के प्रति अन्याय करना शुरु कर दिया था, जिससे इंग्लैंड को लोगों को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में लगने लगी थी। इसके विरोध के फरस्वरूप इस क्रांति ने जन्म लिया।
इस क्रांति के अनेक परिणाम हुये। इंग्लैंड के राजा की शक्ति के अधिकारों में कमी आई और इंग्लैंड की संसद के अधिकारों में वृद्धि हुई। अनेक तरह के नये अधिनियम भी बने और धार्मिक सहिष्णुता को मजबूती मिली। सबको अपना धर्म चुनने की आजादी मिली। न्यायालय को भी स्वतंत्रता मिली तथा एक नई यूरोपीय नीति अपनाई गई।
1688 में हुई इंग्लैंड में हुई इस रक्तहीन क्रांति ने भविष्य में फ्रांस और अमेरिकी क्रांतियों की भी आधारशिला रखी । इस क्रांति के बाद उस समय अमेरिका में भी स्वतंत्रता की मांग जोर पकड़ने लगी। उस समय अमेरिका में अमेरिका इंग्लैंड का उपनिवेश था और उस पर इंग्लैंड की संसद द्वारा शासन चलाया जाता जाता था जो कि अमेरिका वासियों को मंजूर नहीं था वह अपना शासन स्वतंत्र रूप से चाहते थे। इसलिए अमेरिका की जनता ने अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष आरंभ किया जो अमेरिकी क्रांति के परिणाम के रूप में उभर कर आया।
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