गया के साथ जाते हुए हीरा और मोती के मन मै उठने वाले भावो का वर्णन किजीए
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gya ke sath samay hora Or moti soch rahe the king agar bhagvan ne une bhi bhasa di hoti to vo jhuti se puchte ki tumne aisa kyu kiya vo bolte ki tum hume jo khane ko dete vo tum kha lete kabi mna nhi karte tum jaise sakte hum vaise hi rahte, agar kam or lena hota to le lete aise hume kyu becha
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गया के साथ जाते हुए हीरा और मोती के मन में उठने वाले भाव यह थे कि ईश्वर ने उनको बोलने की शक्ति क्यों नही दी ताकी वह बोल सके की उनको नही जाना है। यह भी बोल सके की उनको अब और काम नही करना है उनको छोड़ दे और उनको अराम करने दे और काम ना करवाएँ। वो दोनों थक चुके है। उनके साथ झूरी कभी ऐसा नही किया था।
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