Hindi, asked by sarika3064, 11 months ago

Gayatri Mantra ka Arth​

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Answered by samridhraj20
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Answered by tejrai987
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ॐ = सबकी रक्षा करने वाला हर कण कण में मौजूद

भू = सम्पूर्ण जगत के जीवन का आधार और प्राणों से भी प्रिय

भुवः = सभी दुःखों से रहित, जिसके संग से सभी दुखों का नाश हो जाता है

स्वः = वो स्वयं:, जो सम्पूर्ण जगत का धारण करते हैं

तत् = उसी परमात्मा के रूप को हम सभी

सवितु = जो सम्पूर्ण जगत का उत्पादक है

र्वरेण्यं = जो स्वीकार करने योग्य अति श्रेष्ठ है

भर्गो = शुद्ध स्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन स्वरूप है

देवस्य = भगवान स्वरूप जिसकी प्राप्ति सभी करना चाहते हैं

धीमहि = धारण करें

धियो = बुद्धि को

यो = जो देव परमात्मा

नः = हमारी

प्रचोदयात् = प्रेरित करें, अर्थात बुरे कर्मों से मुक्त होकर अच्छे कर्मों में लिप्त होंगायत्री मन्त्र का अर्थ –

उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

अर्थात

सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।

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