Gayatri Mantra Ki Mahima ka varnan kijiye
Answers
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण- ्यं = सबसे उत्तम
भर्गो- = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य- = प्रभु
धीमहि- = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचो- दयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म में सबसे महेत्वपूर्- ण मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है| इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.
ऊँ भूर्भवः स्वः तत्सवितुर्वरेवणयम्,
भर्गो देवस्य धीमिहि धियो योनः प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन :
भावार्थ : भूलोक, अंतरिक्षलोक, स्वर्ग लोक समस्त प्राणियों के परमपिता, ज्ञान रूप प्रकाश को देने वाले उस ब्रह्म स्वरूप को ध्यान में रखकर हम नमन करते हैं, जो हमारी बुद्धि को तम यानि अंधकार से निकालकर सत यानि प्रकाश के मार्ग की ओर प्रवृत्त करे।
गायत्री मंत्र की महिमा से हम यह प्रार्थना करनी चाहिए हमें सही प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाए| हमें सही रास्ता दिखाए|