geet aur Sangeet Ka Hamare Jeevan Mein Bada mahatva Hai Is par Apne vichar likhiye
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संगीत का आविर्भाव आदिकाल से हुआ है| ये हृदय की वो अभिव्यक्ति है जो न सिर्फ मनुष्य प्रयोग करते हैं बल्कि देवता, पशु-पक्षी और कीट पतंगे तक करते हैं| वैदिक युग में सामवेद गेय था| प्रकृति निरंतर संगीत लहरियाँ छेड़ती रहती है बस ध्यान से महसूस करने वाला चाहिए| झरना गिरने की ध्वनि, हवा की सांय-सांय, पक्षियों का कलरव, पशुओं के खुरों की आवाज, पत्तियों का हिलना, झींगुरों का समूहगान- सर्वत्र संगीत बिखरा पड़ा है| आदिकाल से ही भारत में संगीत के अनेक माध्यम, वाद्य और संगीतकार हुए है| नारदमुनि अपनी वीणा पर नारायण की मधुर तान छेड़ते थे तो तानसेन अपने गायन से बुझे दीप को जलाने का सामर्थ्य रखते थे| कहीं-कहीं गायन द्वारा वर्षा करवाने की बातें भी प्रचलित है| संगीत ऐसा शुद्ध मनोरंजन है जो तनाव का विसर्जन करके गहन शांति प्रदान करता है| ज्यादातर महात्मा संगीत के साथ ध्यान में उतरने के प्रयोग करवाते हैं| ओशो रजनीश की सभी ध्यान पद्धतियाँ संगीत पर आधारित है| संगीत ऐसा सामंजस्य पूर्ण होता है कि हम उसे हर मूड में पसंद करते है| अत्यधिक ख़ुशी में तेज संगीत तो उदासी के समय गजलें, रूमानी मूड में प्रेम संगीत तो धार्मिक भावना होने पर भक्ति संगीत| आजकल ऐसे प्रयोग भी सफल हुए है कि संगीत सुनते हुए गायें ज्यादा दूध देती है और गर्भस्थ शिशु को गर्भावस्था में सुना संगीत प्रसव के समय और बाद में भी स्मरण रहता है| इस प्रकार संगीत ऐसा सात्विक आनंद है जो जाति, धर्म, लिंग, आयु, वर्ग सभी से परे है| सबके लिए है| संगीत को न सीमाओं में बांधा जा सकता है न नष्ट किया जा सकता है| ये अबाध धारा सबके लिए सर्वत्र सुलभ है|