Geet frosh kavita me nihit viyangya ko spast kijiye
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जी हां हुजूर, मैं गीत बेचता हूं.
मैं तरह-तरह के
गीत बेचता हूं;
मैं किसिम-किसिम के गीत
बेचता हूं.
जी, माल देखिए दाम बताऊंगा,
बेकाम नहीं है, काम बताऊंगा;
कुछ गीत लिखे हैं मस्ती में मैंने,
कुछ गीत लिखे हैं पस्ती में मैंने;
यह गीत, सख़्त सरदर्द भुलाएगा;
यह गीत पिया को पास बुलाएगा
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