geeta kae 18 adheayayea ka shalon
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भगवान श्रीकृष्ण प्रत्येक इंसान से विभिन्न विषयों पर प्रश्न करते हैं और उन्हें माया रूपी संसार को मन से त्यागने को कहते हैं, भगवान का कहना है कि पूरी जिंदगी सुख पाने का एक और केवल एक ही रास्ता है और वह है उनके प्रति पूरा समर्पण।
तुम क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? तुम क्यों भयभीत होते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा का न कभी जन्म होता है और न ही यह कभी मरता है।
परिवर्तन संसार का नियम है, एक पल में आप करोड़ों के स्वामी हो जाते हो और दूसरे पल ही आपको ऐसा लगता है कि आपके पास कुछ भी नहीं है।
अपने आप को भगवान के हवाले कर दो, यही सर्वोत्तम सहारा है, जिसने इस शस्त्र-हीन सहारे को पहचान लिया है वह भय, चिंता और दु:खों से मुक्त हो जाता है।
जो कुछ भी आज तुम्हारा है, कल किसी और का था और परसों किसी और का हो जाएगा, इसलिए माया के चकाचौंध में मत पड़ो। माया ही सारे दु:ख, दर्द का मूल कारण है।
I hope u should understand this answer
तुम क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? तुम क्यों भयभीत होते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा का न कभी जन्म होता है और न ही यह कभी मरता है।
परिवर्तन संसार का नियम है, एक पल में आप करोड़ों के स्वामी हो जाते हो और दूसरे पल ही आपको ऐसा लगता है कि आपके पास कुछ भी नहीं है।
अपने आप को भगवान के हवाले कर दो, यही सर्वोत्तम सहारा है, जिसने इस शस्त्र-हीन सहारे को पहचान लिया है वह भय, चिंता और दु:खों से मुक्त हो जाता है।
जो कुछ भी आज तुम्हारा है, कल किसी और का था और परसों किसी और का हो जाएगा, इसलिए माया के चकाचौंध में मत पड़ो। माया ही सारे दु:ख, दर्द का मूल कारण है।
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