geetika chhand ki paribhasha likhkar udaharan dwara samjhaie
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गीतिका छंद की परिभाषा...
गीतिका छंद एक मात्रिक छंद होता है, जिसमें 4 पदों का एक सम-मात्रिक छंद की रचना की जाती है। इस छंद की हर पंक्ति में 26 मात्राएं होती हैं तथा हर पद 14-12 या 12-14 मात्राओं की यति के अनुसार रचित किया जाता है।
गीतिका छंद के पद के अंत में लघु-गुरु होना आवश्यक होता है। इस छंद के प्रत्येक पद की तीसरी, दसवीं, सत्रहवीं और चौबीसवीं मात्रा लघु रखी जाती हैं।
गीतिका छंद का एक उदाहरण प्रस्तुत है, जिसमें मात्राओं यति 14-12 है
खोजते हैं साँवरे को, हर गली हर गाँव में।
आ मिलो अब श्याम प्यारे, आमली की छाँव में।।
आपकी मन मोहनी छवि, बाँसुरी की तान जो।
गोप ग्वालों के शरीरोंं में, बसी ज्यों जान वो।।
गीतिका छंद में हर 2/4 में समतुकांत मिलाये जाते हैं।
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2. दोहा और रोला छंद मिलकर ............. छंद बनता है।