gehu banan gulab saransh
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गेहूँ बनाम गुलाब' श्री रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित एक ललित निबन्ध है। इस निबन्ध के अन्तर्गत लेखक ने गेहूँ को भौतिक, आर्थिक एवं राजनैतिक प्रगति का प्रतीक माना है और गुलाब को मानसिक अर्थात् सांस्कृतिक प्रगति का प्रतीक माना है। इन दोनों का सन्तुलन ही मानव जीवन को पूर्णता प्रदान कर सकता है।
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