George Pancham ki naak path ke Aadhar par likhe Ke Gulam mansikta kis Prakar Hamare Naitik Vikas me badhak hai
Answers
जार्ज पंचम की नाक
जार्ज पंचम की नाक के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि गुलामी वाली मानसिकता अभी भी हम पर हावी है। हमको आजाद हुये इतने वर्ष बीत चुके हैं पर अभी भी हम अंग्रेजों के गुलामी के प्रतीकों को ढो रहें हैं। हम तो अपने मन में ये भ्रम पाले हुये हैं कि हम हम आजाद हो गये हैं। हम भौतिक रूप से भले ही आजाद हो गये हैं हों पर हमारी मानसिकता अभी गुलामी से भरी है। हमारी ये मानसिकता हमारे नैतिक विकास में बाधक है।
इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ अपने पति के साथ भारत के दौरे पर आने वाली हैं। तो सारे भारतीय हुक्मरान महारानी के स्वागत की ऐसी तैयारी करने लगे कि जैसी वो अभी तक भारत की महारानी हों। तभी पता चलता हैं इंडिया गेट के सामने लगी जार्ज पंचम की लाट की नाक टूट गयी है। तब सबको ऐसा लगने लगा कि जैसी हिन्दुस्तान की नाक कट गयी हो। अब सब सोचने लगे कि महारानी को क्या मुँह दिखायेंगे। आनन-फानन में लाट पर नयी नाक लगाने की खोज शुरू हो गयी है। पर कोई फिट नाक मिल ही नही रही थी। जैसे-तैसे इंतजाम करके नाक तो लगा दी गई पर इससे कोई खुशी का अहसास नही हुआ। ऐसा लगने लगा कि इस जार्ज पंचम की नाक के चक्कर में हिन्दुस्तान की नाक कट गयी।
इस पाठ द्वारा ये बताने की कोशिश की गयी है कि अंग्रेजों की गुलामी वाली मानसिकता से हम अभी तक जकड़े हुये हैं। हम अपने हर कार्य की प्रमाणिकता के लिये पश्चिम तक की तरफ मुँह देखते हैं। बहुत सी ऐसी भारतीय परंपराये, खोजें, उपलब्धियां आदि हैं जो जब तक पश्चिम द्वारा प्रमाणित न हो जायें हम उसको मान्य नही मानते हैं। इस कारण हम स्वयं की स्वाबलंबी पहचान नही बना पाये हैं। अंग्रेज हमें क्या-क्या देकर गये इसका तो हम खूब गुणगान करते हैं पर बदले मैं वो हमसे कितना लूट ले गये ये हम भूल जाते हैं। हम आज भी इंग्लैंड की महारानी के स्वागत में पलक-पाँवड़े बिछाये रहते हैं। ये मानसिकता देश की उन्नति में बाधक बन गयी है। हमें इस गुलाम भरी मानसिकता से निकलना होगा और स्वयं का एक स्वतन्त्र एवं सुदृढ अस्तित्व का निर्माण करना होगा तभी हमारा नैतिक विकास होगा।
Answer:
Kindly refer to the attachment.
Hope it helps you!
Please mark me as brainliest.