Germination of seeds in hindi for speech writing
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अंकुरण के तीन दिन के पश्चात सूरजमुखी का पौधा
अंकुरण क्रिया उस क्रिया को कहते हैं, जिसमें बीज एक पौधे में बदलने लगता है। इसमें अंकुरण की क्रिया के समय एक छोटा पौधाबीज से निकलने लगता है। यह मुख्य रूप से तब होता है, जब बीज को आवश्यक पदार्थ और वातावरण मिल जाता है। इसके लिए सही तापमान, जल और वायु की आवश्यकता होती है। रोशनी का हर बीज के लिए होना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कुछ बीज बिना रोशनी के अंकुरित नहीं होते हैं।[1]
जल इस क्रिया के लिए जल अनिवार्य होता है। कुछ बीज के लिए जल कम और कुछ के लिए अधिक मात्रा में आवश्यक होता है।[2]
ऑक्सीजन बीज को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। यह इसे चयापचय के लिए उपयोग करता है। जब बीज से पत्ते निकल आते हैं, तो वह इस के स्थान पर कार्बन-डाई-ऑक्साइड को ग्रहण करता है।
तापमान बहुत से बीज 60-75 F (16-24 C) के आसपास तापमान में अंकुरित होते हैं। सभी के लिए अलग अलग तापमान की आवश्यकता होती है।
रोशनी या अंधेरा कुछ बीज के लिए रोशनी का होना अनिवार्य होता है। यदि रोशनी न मिले तो वह अंकुरित नहीं होते और नमी के कारण सड़ने भी लगते हैं। लेकिन कई बीज अंधेरे में भी अंकुरित हो सकते हैं।
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